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साहित्य का कोई जाति या धर्म नहीं होता-डॉ. उमर अली शाह

भीमावरम। श्री विश्व विज्ञान विद्या आध्यात्मिक पीठ के नौवें पीठाधिपति डॉ. उमर अली शाह ने कहा कि साहित्य समाज के हित की तलाश करता है और साहित्य का कोई जाति या धर्म नहीं होता।

डॉ. उमर अली शाह पश्चिम गोदावरी जिले के मुख्यालय भीमावरम के  त्यागराज भवन में गुरुवार को डॉ. उमर अली शाह साहित्य समिति द्वारा आयोजित छठे पीठाधिपति स्वर्गीय कवि शेखर डॉ. उमर अली शाह की 80वीं पुण्यतिथि समारोह की अध्यक्षता  कर रहे थे।

इस अवसर पर उन्होंने कहा कि महान कवि डॉ. उमर अली शाह, जिन्होंने छोटी उम्र में ही अपना साहित्यिक जीवन शुरू कर दिया था, एक महान कवि थे। वे एक महान व्यक्ति थे जिन्होंने 18वीं शताब्दी में समाज में महिलाओं के पिछड़ेपन को पहचाना और महिलाओं के उत्थान के लिए काम किया। यह बात सामने आई कि उन्होंने समाज का अध्ययन किया और एक समाज सुधारक, स्वतंत्रता सेनानी, कवि और लेखक के रूप में महिलाओं और हरिजनों के उत्थान के लिए अथक प्रयास किया।

पीठाधिपति  ने  कहा कि उमर अली शाह लिटरेचर सोसाइटी द्वारा प्रस्तुत स्मृति साहित्य पुरस्कार के लिए  राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्तकर्ता और केंद्रीय सेवानिवृत्त आचार्य बेटावोलु राम ब्राह्मण  को करते हुए उन्हें  खुशी हो रही है।  उन्होंने भीमवरम में विगत 32 सालों से उमर अली शाह साहित्य समिति द्वारा साहित्य सेवा  कर रहे सदस्यों को बधाई दी ।

इसके उपरांत  डॉ. उमर अली शाह की कृत बरहिनी देवी काव्य  संग्रह  पर  अचार्य बेटावोलू द्वारा  एक व्यापक समीक्षा ग्रंथ की का अनावरण किया गया ।

इस अवसर पर पुरस्कार प्राप्तकर्ता आचार्य बेतवोलु रामब्रह्मम ने कहा कि उमर अली शाह महाकवि  तिरुपति के वेंकट कवियों के  समकालीन कवि थे। वह एक महान व्यक्ति थे जिन्होंने कविता और शास्त्रों के सदियों को लिखा था।  ने कहा कि उन्हें उमर अली शाह द्वारा लिखी गई बरहिनी देवी  कविता पर  समीक्षा ग्रंथ  लिखने का अवसर मिला। यह पता चला है कि साहित्य समिति पुरस्कार को राष्ट्रीय पुरस्कार के रूप में मनाया जा रहा है। उन्होंने इस अवसर पर अली शाह और साहित्य समिति के सदस्यों को धन्यवाद दिया।

बतौर विशेष अतिथि, मंटेना रामचंद्र राजू ने कहा कि साहित्यिक सभा को जाति या धर्म के परे माना जाता है। पिछले 32 वर्षों से, भीमवरम को साहित्य समिति से सम्मानित किया गया है, जिन्हें कई प्रमुख साहित्यिक विद्वानों के लिए पुरस्कार प्रदान किए गए हैं।

उमर अलीशा पुरस्कार के प्राप्तकर्ता को स्मारक से सम्मानित आचार्य बेतवोलु रामब्रह्मम को 50,116 रुपये का नकद प्रोत्साहक पुरस्कार दिया गया। इस आयोजन में समिति के सचिव, दयान सुरेश चंद्रजी, उपाध्यक्ष त्सावतपल्ली मुरलीकृष्ण, प्रतिभा वड्डी श्री वेंकटेश्वर शर्मा, वेगासना सत्यवती, वड्डी विजयालक्षमी और त्सावतपल्ली साई वेंकनाबु ने भाग लिया।

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