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भारत परमाणु पनडुब्बी बेड़े के नए बेस ‘आईएनएस वर्षा’ से करेगा चीनी नौसेना का मुकाबला

  • बंगाल की खाड़ी, हिंद महासागर और पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नौसेना को मिलेगी ताकत ​

नई दिल्ली। भारत परमाणु ऊर्जा संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी बेड़े के लिए एक नया बेस ‘आईएनएस वर्षा’ बना रहा है, जिसका निर्माण दो साल के भीतर पूरा होगा। भारत का नौसैनिक विस्तार बंगाल की खाड़ी सहित हिंद महासागर में चीन की बढ़ती सैन्य उपस्थिति के जवाब में है। साथ ही भारतीय नौसेना को 2047 तक पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनने का लक्ष्य भी पूरा करेंगी। भारत का परमाणु पनडुब्बी कार्यक्रम दुनिया की सबसे बड़ी चीनी नौसेना का मुकाबला करने के लिए तेजी से चल रहा है। भारत के पास 2036 तक अपनी पहली स्वदेशी परमाणु हमला पनडुब्बी होने की उम्मीद है।

यह भूमिगत बेस आंध्र प्रदेश के तटीय गांव रामबिली के पास स्थित है, जो विशाखापट्टनम नौसैनिक अड्डे से लगभग 70 किमी दूर है। यह ​बेस न केवल बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर क्षेत्र में​, बल्कि पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नौसैनिक शक्ति ​को नया आकार ​देगा। हालांकि​, आईएनएस वर्षा की सटीक लागत का खुलासा नहीं किया गया है, लेकिन अनुमान है कि ​इसकी लागत लगभग 3.75 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकती है। इस अड्डे को 12 से अधिक परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों को समायोजित करने के लिए डि​जाइन किया गया है, जिसमें अरिहंत-क्लास और भविष्य के एस5-क्लास के जहाज शामिल हैं।

आईएनएस वर्षा क्वाड ​देशों के भागीदारों संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। भारतीय समुद्री क्षमताओं को बढ़ाने के लिए यह बेस नौसेना की वर्तमान और भविष्य की पनडुब्बियों के लिए एक केंद्र के रूप में काम करेगा। भारत की पहली परमाणु ऊर्जा चालित हमलावर पनडुब्बियां भारतीय नौसेना की सामरिक क्षमताओं को बदल देंगी। इसके अलावा ये पनडुब्बियां हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में चीन और पाकिस्तान की बढ़ती समुद्री गतिविधियों को जवाब देने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। इसके अलावा यह बेस भारत की नौसैनिक शक्ति को प्रदर्शित करने और विशाल हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपने प्रभाव को बढ़ाने की क्षमता को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएगा, जिससे भारतीय नौसेना अपने तत्काल जल क्षेत्र से कहीं आगे तक काम कर सकेगी।

भारत के नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने पुष्टि की है कि देश की पहली स्वदेशी परमाणु हमला पनडुब्बी 2036 तक तैयार होने की उम्मीद है और दूसरी दो साल के भीतर तैयार हो जाएगी।​ पहली दो पनडुब्बियों ​की इस परियोजना की अनुमानित लागत 35हजार करोड़ रुपये है।​ प्रधानमंत्री​ नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता​ वाली सुरक्षा पर कैबिनेट समिति (​सीसीएस) ने ​पिछले साल अक्टूबर में ​दो स्वदेशी परमाणु हमला पनडुब्बियों के निर्माण को मंजूरी दी​, जबकि भारतीय नौसेना को ऐसी छह पनडुब्बियों की आवश्यकता है।​ एडमिरल त्रिपाठी ने बताया कि नौसेना 175 युद्धपोतों वाली मजबूत ताकत बनने की राह पर है। भारत तीन अतिरिक्त कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियों और राफेल एम जेट विमानों को खरीदने के लिए बातचीत के अंतिम चरण में है, जिसके लिए जल्द ही खरीद अनुबंधों पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है।
साभार – हिस

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