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नौसेना को मिले अत्याधुनिक हथियारों और सेंसर से लैस ‘सूरत’ और ‘नीलगिरी’ जहाज

  • पारंपरिक और अपारंपरिक खतरों का ‘ब्लू वाटर’ में मुकाबला करने में सक्षम हैं दोनों जहाज

नई दिल्ली। देश के आत्मनिर्भर होने की यात्रा में एक और ऐतिहासिक दिन जुड़ गया, जब भारतीय नौसेना को एक साथ दो युद्धपोत सौंपे गए। इनमें एक विध्वंसक सूरत और दूसरा फ्रिगेट नीलगिरी हैं। इन जहाजों को भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो ने स्वदेशी रूप से डिजाइन और मझगांव डॉक लिमिटेड (एमडीएल) ने निर्मित किया है। दो अत्याधुनिक युद्धपोतों के एक साथ समुद्री बेड़े में शामिल होने से भारतीय नौसेना की परिचालन और युद्ध क्षमता बढ़ेगी।

नौसेना को मिला जहाज ‘सूरत’ प्रोजेक्ट 15बी स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक का चौथा और अंतिम है। इससे पहले पिछले तीन वर्षों में इसी प्रोजेक्ट के तीन जहाजों विशाखापत्तनम, मोरमुगाओ और इम्फाल को नौसेना के बेड़े में शामिल किया जा चुका है। सूरत की डिलीवरी भारतीय नौसेना की स्वदेशी विध्वंसक निर्माण परियोजना का समापन है। इस परियोजना की शुरुआत 2021 में हुई थी। कुल 7,400 टन वजन और 164 मीटर की लंबाई वाला निर्देशित मिसाइल विध्वंसक होने के नाते आईएनएस सूरत शक्तिशाली और बहुमुखी प्लेटफॉर्म है, जो सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों, जहाज रोधी मिसाइलों और टॉरपीडो सहित अत्याधुनिक हथियारों और सेंसर से लैस है। इसने अपने समुद्री परीक्षणों के दौरान 30 नॉट्स (56 किमी/घंटा) से अधिक की गति प्राप्त की है। यह स्वदेशी रूप से विकसित भारतीय नौसेना का पहला एआई सक्षम युद्धपोत है, जो इसकी परिचालन दक्षता को कई गुना बढ़ाएगा।

नौसेना को सौंपा गया फ्रिगेट नीलगिरि प्रोजेक्ट 17ए स्टील्थ का पहला जहाज है। इस योजना के सात जहाज एमडीएल, मुंबई और जीआरएसई, कोलकाता में बनाए जा रहे हैं। ये बहु-मिशन फ्रिगेट भारत के समुद्री हितों के क्षेत्र में पारंपरिक और अपारंपरिक दोनों तरह के खतरों से ‘ब्लू वाटर’ में मुकाबला करने में सक्षम हैं। नए जहाजों को डीजल या गैस से संचालित किया जाता है। इन जहाजों में अत्याधुनिक एकीकृत प्लेटफ़ॉर्म प्रबंधन प्रणाली भी है। जहाजों में सुपरसोनिक सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल प्रणाली, मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली, 76 मिमी अपग्रेडेड गन और रैपिड फ़ायर क्लोज-इन हथियार प्रणालियों को लगाया गया है।

नौसेना को 2047 तक आत्मनिर्भर बनाने को ध्यान में रखते हुए इन जहाजों में 75 फीसदी स्वदेशी सामग्री लगाई गई है। इन परियोजनाओं ने देश में आत्मनिर्भरता, आर्थिक विकास, रोजगार को बढ़ावा दिया है। इन युद्धपोतों में लगे प्रमुख हथियार और सेंसर स्वदेशी कंपनियों बीएपीएल, एलएंडटी, एमटीपीएफ, बीईएल, बीएचईएल, महिंद्रा आदि से हासिल किए गए हैं। इस वर्ग के शेष छह जहाज एमडीएल, मुंबई और जीआरएसई, कोलकाता में निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं। इन जहाजों के 2025 और 2026 में भारतीय नौसेना को सौंपे जाने की उम्मीद है।
साभार – हिस

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