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एरीज के वैज्ञानिकों ने खगोलीय पिंडों से निकलने वाले जेटों की गतिशीलता पर प्लाज्मा संरचना के प्रभाव का पता लगाया

नैनीताल। वैज्ञानिकों ने खगोलीय जेटों की प्लाज्मा संरचना के प्रभाव का पता लगाया है, जो आयनित पदार्थ के बहिर्वाह हैं और ब्लैक होलों, न्यूट्रॉन तारों और पल्सार जैसे सघन खगोलीय पिंडों से विस्तारित किरणों के रूप में उत्सर्जित होते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार वर्षों के शोध के बावजूद यह ज्ञात नहीं है कि खगोलीय जेट किस तरह के पदार्थ से बने होते हैं। क्या वे मात्र इलेक्ट्रॉन या प्रोटॉन से बने होते हैं या उनमें पॉजिट्रॉन नामक सकारात्मक रूप से आवेशित इलेक्ट्रॉन भी मौजूद होते हैं। जेट की संरचना को जानना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ब्लैक होल और न्यूट्रॉन तारों के समीप चलने वाली भौतिक प्रक्रिया को सटीकता से समझायेगी। सामान्य तौर पर सैद्धांतिक अध्ययनों में जेट की उष्मागतिकी की मात्राओं जैसे द्रव्यमान घनत्व, ऊर्जा घनत्व और दबाव के बीच संबंध से संरचना की जानकारी नहीं होती। ऐसे संबंध को जेट के पदार्थ की ‘स्थिति का समीकरण’ कहा जाता है। इधर भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के स्वायत्त संस्थान एरीज यानी आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान नैनीताल के शोध छात्र राज किशोर जोशी और वैज्ञानिक डॉ. इंद्रनील चट्टोपाध्याय ने इस संबंध में डॉ. चट्टोपाध्याय द्वारा पहले विकसित किए गए एक संख्यात्मक सिमुलेशन कोड को आंशिक रूप से प्रस्तावित किया है। एस्ट्रोफिजिकल जर्नल (एपीजे) नामक अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका में प्रकाशित इस शोध में इलेक्ट्रॉन, पॉजिट्रॉन यानी धनात्मक रूप से आवेशित इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन के मिश्रण से बने एस्ट्रोफिजिकल जेट की गतिशीलता का अध्ययन करने के लिए सापेक्षतावादी समीकरण का उपयोग किया और दिखाया कि भले ही जेटों के प्रारंभिक पैरामीटर समान रहें, परन्तु प्लाज्मा संरचना में परिवर्तन से जेट के प्रसार वेग में अंतर आता है। इलेक्ट्रॉन और पॉजिट्रॉन से बने जेट, अपेक्षा के विपरीत, प्रोटॉन युक्त जेट की तुलना में सबसे धीमे पाए गए। प्रोटॉन इलेक्ट्रॉन या पॉजिट्रॉन की तुलना में लगभग दो हजार गुना अधिक भारी होते हैं। इस शोध में यह भी सामने आया कि प्लाज्मा संरचना में परिवर्तन जेट की आंतरिक ऊर्जा को बदलता है जो प्रसार गति में परिवर्तन में परिलक्षित होता है। इसके अलावा, प्लाज्मा संरचना जेट संरचनाओं को भी प्रभावित करती है। इलेक्ट्रॉन-पॉजिट्रॉन जेट अधिक अशांत संरचनाएँ दिखाते हैं। इन संरचनाओं के विकास के परिणामस्वरूप जेट की गति में भी कमी आती है। यह ज्ञात है कि अशांत संरचनाओं का निर्माण और विकास जेट की स्थिरता को प्रभावित करता है। इसलिए प्लाज्मा संरचना भी जेट की दीर्घकालिक स्थिरता को प्रभावित कर सकती है।
साभार – हिस

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