-
454 वें उर्स के मौके पर हजारों श्रद्धालुओं के बीच हुआ नए उत्तराधिकारी का ऐलान
नई दिल्ली/फतेहपुर सीकरी। सूफ़ी संत हजरत शेख़ सलीम चिश्ती की दरगाह के सज्जदानशीन हजरत पीरजादा आयाज़ुद्दीन चिश्ती उर्फ़ रईस मियां चिश्ती ने अपने जानशीन (उत्तराधिकारी) के नाम का ऐलान किया। ऐतिहासिक कचहरी ख़ानकाह में उर्स की महफ़िल के दौरान यह घोषणा की गई। इस मौके पर हज़ारों जायरीन, सूफ़ियों एवं सज्जदानशीनों ने शिरकत की। विशेषकर अजमेर शरीफ दरगाह के सज्जदानशीन सैयद जैनुल आबेदीन अली ख़ान ने बधाई दी है।
सज्जदानशीन पीरज़ादा रईस मियां ने अपने संबोधन में कहा कि 1943 में मेरे पिता पीरज़ादा अज़ीज़ुद्दीन चिश्ती के इंतकाल के बाद मुझे सज्जदानशीन बनाया गया था। तब मेरी उम्र 7 वर्ष थी। इसी कचहरी में मेरी दस्तरबंदी हुई थी। मुझे ख़ुशी है कि मैं अपने बड़े बेटे पीरज़ादा अरशद फ़रीदी की 17वें सज्जदानशीन के लिए दस्तरबंदी कर रहा हूं। अपने भावुक संबोधन में उन्होंने कहा कि मैंने 81 साल तक इस चौखट की ख़िदमत की और अब उम्मीद करता हूं कि अरशद फ़रीदी दरगाह की परमपरांओं, धार्मिक व सामाजिक नियमों का पालन करेंगे। शाही फ़रमान में वर्णित नियमों के अनुसार पवित्र दरगाह की व्यवस्था को चलाएंगे।
बाबा शेख सलीम चिश्ती अजमेर शरीफ के ख्वाजा गरीब नवाज की चिश्ती परंपरा के सर्वमान्य सूफ़ी हैं। वह प्रसिद्ध सूफ़ी हज़रत बाबा फरीद के परिवार से थे। शेख सलीम चिश्ती का उर्स 454 वर्ष से यहां हर साल हो रहा है। इस अवसर पर मौजूद बाबा शेख सलीम चिश्ती के तमाम श्रद्धालुओं ने इस घोषणा का स्वागत किया। विभिन्न खानकाहों की और लोगों ने भी पगड़ी पेश की।
बाद में लोगों को संबोधित करते हुए पीरजादा अरशद फरीदी ने कहा कि अपने पिता के सान्निध्य में रहते हुए वह खानकाही परंपराओं से भली-भांति परिचित हुए हैं और आगे भी उनके आदर्शों पर चलेंगे। उन्होंने कहा कि इस दरगाह पर सिर्फ एक धर्म विशेष के नहीं, बल्कि हर धर्म के लोग आते हैं। इसलिए हमारा दायित्व है कि हम सबका ख्याल रखें। भाईचारे को बढ़ावा दें और सबकी श्रद्धा व आस्था का ख्याल रखें। हमारा मक़सद अल्लाह की कृपा और दया हासिल करना है, देश के विकास के लिए प्रार्थना करना और प्रेम व आपसी भाई चारे को बढ़ावा देना है।
साभार – हिस
Indo Asian Times । Hindi News Portal । इण्डो एशियन टाइम्स,। हिन्दी न्यूज । न रूकेगा, ना झुकेगा।।
