नई दिल्ली। भारत के उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज संसद भवन परिसर में भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के 77वें बैच के अधिकारी प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए कहा कि आयात भारत की विदेशी मुद्रा को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। यह रोजगार और उद्यमिता के अवसरों को भी प्रभावित कर रहे है। ऐसे में स्वदेशी को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
उप-राष्ट्रपति ने कहा कि 1.4 अरब की आबादी के साथ हमारी कर संग्रह क्षमता काफी हद तक अ-प्रयुक्त है। उन्होंने प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए कि समय को देखते हुए करदाताओं की संख्या बढ़ाने की जरूरत है। उप-राष्ट्रपति ने सलाह भी दी कि यह काम जबरदस्ती से नहीं बल्कि परामर्श और समर्थन के माध्यम से होना चाहिए। उप-राष्ट्रपति ने आईआरएस बिरादरी से देश में आर्थिक राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ावा देने के लिए आग्रह किया।
उप-राष्ट्रपति ने आईआरएस अधिकारी प्रशिक्षुओं को अनुपालन और कानून का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करने को भी कहा। उप-राष्ट्रपति ने कहा, “आपको इस जिम्मेदारी का दायित्व गर्व के साथ और पूरी ईमानदारी के साथ निभाना चाहिए। एक अनुकरणीय अधिकारी और नागरिक बनने का सबसे सुरक्षित मार्ग शॉर्टकट अपनाने से बचना और कानून का शासन बनाए रखना है।”
उप-राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले दशक में परिवर्तनकारी कराधान सुधारों ने कर के बोझ को कम किया है, विकृतियों को हटा दिया है, जिससे विकास को और बढ़ावा देने के लिए कर आधार बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त हुआ है। करदाताओं को अब कर प्रशासकों से डर नहीं लगता। अब करदाता आश्वस्त हैं कि उसके कर भुगतान का राष्ट्रीय विकास में उपयोग किया जा रहा है।
इस मौके पर राज्य सभा महासचिव पीसी मोदी, भारत के उप-राष्ट्रपति के सचिव सुनील कुमार गुप्ता, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) अध्यक्ष नितिन गुप्ता, सीबीडीटी के प्रधान महानिदेशक (प्रशिक्षण) सीमांचला दाश, राष्ट्रीय प्रत्यक्ष कर अकादमी (एनएडीटी) के महानिदेशक आनंद बैवार, 77वें बैच के आईआरएस अधिकारी प्रशिक्षु और अन्य गण्यमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
साभार – हिस