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अमेरिकी सैन्य नेताओं से मुलाकात में हुई उच्च स्तरीय पेशेवर चर्चा
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फोर्ट मायर्स पहुंचने पर अमेरिकी सेना ने दिया गार्ड ऑफ ऑनर
नई दिल्ली, सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने आर्लिंगटन नेशनल कब्रिस्तान में अज्ञात सैनिकों को पुष्पांजलि अर्पित करके अपनी अमेरिकी यात्रा शुरू की। उनके आधिकारिक यात्रा के दौरान फोर्ट मायर्स पहुंचने पर अमेरिकी सेना ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया। द्विपक्षीय महत्व के पहलुओं, वैश्विक शांति और सुरक्षा के प्रति आपसी प्रतिबद्धता बढ़ाने के लिए वरिष्ठ अमेरिकी सैन्य नेताओं के साथ उच्चस्तरीय पेशेवर चर्चा की।
थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे 16 फरवरी तक संयुक्त राज्य अमेरिका के आधिकारिक दौरे पर हैं। वह 12 फरवरी को अपनी अमेरिकी यात्रा के लिए भारत से रवाना हुए थे। इस यात्रा का लक्ष्य रक्षा सहयोग तथा दोनों देशों की सेनाओं के बीच संबंधों को और मजबूत करना है। फोर्ट मायर्स पहुंचने पर उन्हें अमेरिकी सेना ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया। इसके बाद आर्लिंगटन नेशनल कब्रिस्तान में अज्ञात सैनिकों की कब्र पर पुष्पांजलि अर्पित करके उनके प्रति सम्मान व्यक्त किया।
जनरल मनोज पांडे ने यूनाइटेड स्टेट्स आर्मी चीफ स्टाफ के चीफ ऑफ स्टाफ जनरल रैंडी जॉर्ज और अन्य वरिष्ठ सैन्य नेताओं के साथ उच्चस्तरीय पेशेवर चर्चा में भी भाग लिया। इस चर्चा का उद्देश्य द्विपक्षीय महत्व के पहलुओं और वैश्विक शांति और सुरक्षा के प्रति आपसी प्रतिबद्धता को और बढ़ाना था। दोनों अधिकारियों ने सैन्य सहयोग, एचएडीआर के लिए समन्वित दृष्टिकोण, सेनाओं के बीच प्रयासों को बढ़ाने और आपसी हित के अन्य मुद्दों से संबंधित व्यापक मुद्दों पर चर्चा की।
सेना प्रमुख ने फोर्ट बेल्वोइर में आर्मी जियोस्पेशियल सेंटर का दौरा किया और फोर्ट मैकनेयर में राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (एनडीयू) की अपनी यात्रा के दौरान उपाध्यक्ष के साथ भी बातचीत की। उन्होंने भारतीय दूतावास के प्रभारी डी’एफ़ेयर के साथ मुलाकात करके महत्वपूर्ण और संभावित पहलों पर चर्चा की। उनके कैलिफोर्निया नेशनल गार्ड के दौरे पर भी जाने की योजना है, जिसका उद्देश्य अधिक महत्वपूर्ण प्रशिक्षण, सह-विकास और सह-उत्पादन गतिविधियों के लिए अवसरों को तलाशना है।
जनरल पांडे की इस यात्रा में ‘भारतीय सेना में बदलाव’, ‘वैश्विक खतरे की धारणा’, ‘2030 एवं 2040 के अनुरूप सेना में बदलाव’, ‘मानव संसाधन संबंधी चुनौतियां’, ‘भविष्य की सेना के विकास और आधुनिकीकरण’ तथा ‘सह-उत्पादन एवं सह-विकास पहल’ जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विचारों का आदान-प्रदान किया जाएगा। इन चर्चाओं का उद्देश्य दोनों सेनाओं के बीच जानकारियां, विचार और सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों को साझा करना है।
थल सेनाध्यक्ष सैन्य नवाचार और रणनीति में सबसे आगे रहने वाली अमेरिकी इकाइयों के साथ भी जुड़ेंगे, जिनमें स्ट्राइकर यूनिट, पहली मल्टी-डोमेन टास्क फोर्स, सिएटल में पहला विशेष सेना समूह और सैन फ्रांसिस्को में रक्षा नवाचार इकाई शामिल हैं। जनरल पांडे और अमेरिकी सेना के वरिष्ठ प्रतिनिधियों के बीच बातचीत से ठोस परिणाम मिलने, साझे सुरक्षा हितों और रक्षा सहयोग के लिए अनुकूल परिवेश को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
साभार – हिस