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भारत और दक्षिण अफ्रीका

भारत और दक्षिण अफ्रीका के नृत्यों की जुगलबंदी ने दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध

  • त्रिभंगा डांस थिएटर ने कुछ पीढ़ियों से चले आ रहे भारत और दक्षिण अफ्रीका के संबंध का जश्न मनाते हुए एक ऊर्जावान नृत्य के साथ प्रदर्शन की शुरुआत की

देहरादून। विरासत सांस्कृतिक महोत्सव 2023 के छठे दिन दक्षिण अफ्रीका से आए हुए अंतरराष्ट्रीय कलाकारों ने भारत और दक्षिण अफ्रीका के नृत्यों की जुगलबंदी प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर दिया।

बुधवार शाम को डॉ. बी आर अंबेडकर स्टेडियम कौलागढ़ रोड में छठे दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ. निशात मिश्रा डीन, यूपीईएस, आनंद बर्धन आईएएस एवं राजा रणधीर सिंह एशिया ओलंपिक परिषद के अंतरिम अध्यक्ष ने दीप प्रज्वलन के साथ किया। सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति दक्षिण अफ्रीका से नृत्य कलाकारों की टुकड़ी, त्रिभंगी नृत्य रंगमंच की रही। त्रिभंगा डांस थिएटर ने कुछ पीढ़ियों से चले आ रहे भारत और दक्षिण अफ्रीका के संबंध का जश्न मनाते हुए एक ऊर्जावान नृत्य के साथ प्रदर्शन की शुरुआत की। नर्तक प्रिया नायडू, टीमलेट्सो खलाने, कैरोलिन गोवेंडर, मोंटूसी मोटसेको, टीबाहो मोगोत्सी और सोलोमन स्कोसना ने साथ में सहयोग किया।

त्रिभंगी डांस थिएटर का काम दक्षिण अफ्रीका संदर्भ में भारतीय नृत्य की विरासत में मिली धारणाओं को लगातार चुनौती देता है। त्रिभंगी नृत्य शैलियों का एक पूरा मिश्रण दिखाता है। जहां नर्तक प्रत्येक संस्कृति के प्रति पूर्ण सम्मान और संवेदनशीलता दिखाते हुए राष्ट्र निर्माण और सामाजिक एकजुटता के आधार पर काम करते हुए एक अंतर-सांस्कृतिक संवाद में एक-दूसरे के साथ बातचीत करते हैं।

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सांस्कृतिक कार्यक्रम की तीसरी प्रस्तुति कौशिकी चक्रवर्ती की रही, कौशिकी ने अपने कार्यक्रम की शुरुआत राग यमन कल्याण से की। कौशिकी के साथ सारंगी पर मुराद अली, तबले पर ईशान घोष, हारमोनियम पर पारोमिता मुखर्जी, तानपुरा पर अदिति बछेती और सृष्टि कला ने सहयोग किया।

कौशिकी चक्रवर्ती एक भारतीय शास्त्रीय गायिका और संगीतकार हैं। दो साल की उम्र से ही संगीत में रुचि दिखाई और उन्होंने 7 साल की उम्र में अपना पहला गाना सार्वजनिक रूप से गाया,जो एक तराना था। नृत्य श्रेणी में स्कूल एवं विश्वविद्यालय के छात्रों ने भाग लिया।

सांस्कृतिक कार्यक्रम की पहली प्रस्तुति में ’अभ्यास समूह’ कृष्ण मोहन महाराज की ओर से गणपति वंदना के साथ हुई, इसके बाद दरबारी, शाही दरबार में किया जाने वाला कथक नृत्य, कृष्ण मोहन की ओर से ग़ज़ल पर नृत्य, एक तराना और एक सूफी कलाम, अमीर खुसरू द्वारा छाप तिलक प्रस्तुत किया गया। ’अभ्यास समूह’ की ओर से मीनू गारू, हीना भसीन, जया पाठक, निधि भारद्वाज, नेहा भगत, देविका दीक्षित, अक्षिका सयाल ने सहयोग किया।

नर्तकियों के परिवार में जन्मे पंडित कृष्ण मोहन महाराज, प्रसिद्ध कथक गुरु पंडित शंभु महाराज के सबसे बड़े पुत्र और पंडित बिरजू महाराज के चचेरे भाई हैं।

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