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रक्षा मंत्री ने हिंद महासागर क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानून की प्राथमिकताओं पर जोर दिया

  •  गोवा मैरीटाइम कॉन्क्लेव में आईओआर देशों से हरित अर्थव्यवस्था में निवेश का आह्वान

  •  राजनाथ सिंह ने कहा, अंतरराष्ट्रीय संबंधों से जुड़े जोखिमों को कम करें आईओआर देश

नई दिल्ली, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को गोवा मैरीटाइम कॉन्क्लेव में जोर देकर कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानून हमारे लिए आदर्श होने चाहिए। हमें अपनी साझा प्राथमिकताओं पर काम करना होगा और उन पर सहमत होना होगा। हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में स्वतंत्र, खुली और नियमों से बंधी समुद्री व्यवस्था हम सभी के लिए प्राथमिकता होनी चाहिए। इस व्यापक ढांचे के भीतर प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण, समुद्री डकैती विरोधी अभियान जैसी कई और ठोस प्राथमिकताएं तय की जा सकती हैं।

भारतीय नौसेना के नेवल वॉर कॉलेज में 29 अक्टूबर से शुरू हुए ‘गोवा मैरीटाइम कॉन्क्लेव’ में समसामयिक और भविष्य की समुद्री चुनौतियों से निपटने के लिए नौसेना प्रमुखों और समुद्री एजेंसियों के बीच ‘हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा’ विषय पर चर्चा की जानी है। इस वर्ष के संस्करण का विषय समुद्री क्षेत्र में ‘सक्रिय और सहयोगात्मक प्रयासों’ की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। गोवा मैरीटाइम कॉन्क्लेव भारतीय नौसेना की आउटरीच पहल है, जो समसामयिक और भविष्य की समुद्री चुनौतियों से निपटने के लिए नौसेना प्रमुखों और साझेदार समुद्री एजेंसियों के बीच विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए बहुराष्ट्रीय मंच है।
रक्षा मंत्री ने मुख्य भाषण देते हुए कहा कि प्राचीन काल से ही समुद्र ने हमारे इतिहास को आकार दिया है। यह आज भी हमारे जीवन को प्रभावित कर रहा है और भविष्य में हमारे साझा भाग्य को आकार देगा। मुझे यह कहने में कोई झिझक नहीं है कि यदि हम सहयोग करें तो हमारे क्षेत्र का भविष्य अपार संभावनाओं से भरा है। यदि सभी देश हरित अर्थव्यवस्था में निवेश करके ऊर्जा उत्सर्जन में कटौती करने की जिम्मेदारी स्वीकार करते हैं और जरूरतमंद देशों के साथ प्रौद्योगिकी और पूंजी साझा करते हैं, तो कोई कारण नहीं है कि मानवता इस समस्या से भी नहीं उबर सकती।

उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों के क्षेत्र में देशों को रणनीतिक निर्णय लेने की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। आपसी भय और अविश्वास के कारण ही दो या दो से अधिक देश हथियारों की होड़ में शामिल होते हैं। ऐसे देशों के बीच विश्वास बनाना महत्वपूर्ण है, ताकि इनके बीच सहयोगात्मक बातचीत संभव हो सके। इसलिए ऐसी चुनौतियों का समाधान खोजना होगा, जो सहयोग को बढ़ावा दें, विश्वास का निर्माण करें और अंतरराष्ट्रीय संबंधों से जुड़े जोखिमों को कम करें। रक्षा मंत्री ने कहा कि आईओआर देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने, समुद्री डकैती, आतंकवाद, नशीली दवाओं की तस्करी और अत्यधिक मछली पकड़ने जैसी सामान्य समुद्री प्राथमिकताओं पर जोर देना होगा।
कॉन्क्लेव में हिंद महासागर तटीय क्षेत्रों मॉरीशस, म्यांमार, सेशेल्स, सिंगापुर, श्रीलंका, थाईलैंड, बांग्लादेश, कोमोरोस, इंडोनेशिया, मेडागास्कर, मलेशिया, मालदीव के नौसेना प्रमुख, समुद्री बलों के प्रमुख और वरिष्ठ प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं, जिनकी मेजबानी भारतीय नौसेना के प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार कर रहे हैं। 31 अक्टूबर तक चलने वाली कॉन्क्लेव के हिस्से के रूप में ‘मेक इन इंडिया प्रदर्शनी’ लगाई गई है, जिसमें भारत के स्वदेशी जहाज निर्माण उद्योग और स्वदेशी युद्धपोतों के साथ-साथ डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू वेसल की क्षमताओं को देखने का मौका है।
साभार -हिस

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