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वायु सेना ने फ्रांसीसी कंपनी से राफेल में भारतीय हथियार लगाने को कहा

  •  भारत में निर्मित स्वदेशी हथियारों के लिए खुल सकते हैं वैश्विक बाजार के रास्ते

  •  युद्ध के समय ‘आत्मनिर्भर’ होने के लिए वायु सेना का स्वदेशी हथियारों पर जोर

नई दिल्ली, वायु सेना ने फ्रांसीसी फर्म डसॉल्ट एविएशन के सामने राफेल लड़ाकू विमानों को भारतीय हथियारों से लैस करने का प्रस्ताव रखा है। यह कदम रक्षा क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ के लिए एक बड़ी कामयाबी हो सकती है, जिससे स्वदेशी हथियारों के लिए वैश्विक बाजार के रास्ते भी खुल सकते हैं। राफेल का उपयोग भारत के अलावा फ्रांस, मिस्र, कतर, ग्रीस, क्रोएशिया, संयुक्त अरब अमीरात और इंडोनेशिया सहित कई अन्य देश करते हैं। इनमें से कई देशों ने राफेल विमानों के लिए ऑर्डर दिए हैं।

भारत के पास इस समय 36 राफेल लड़ाकू जेट हैं, जिन्हें सितम्बर, 2016 में भारत सरकार ने फ्रांसीसी कम्पनी डसॉल्ट एविएशन से 59 हजार करोड़ रुपये का सौदा करके खरीदा था। यह सभी विमान भारत पहुंच चुके हैं, जिन्हें ऑपरेशनल करके पूर्वी और पश्चिमी मोर्चों पर तैनात किया गया है। इनके लिए अंबाला एयरबेस एवं पश्चिम बंगाल के हासीमारा में स्क्वाड्रन बनाई गई हैं। इन विमानों की आपूर्ति से पहले ही फ्रांसीसी सरकार ने भारत सरकार के सामने भारत में निवेश बढ़ाने के लिए पेशकश की थी। इसके तहत फ्रांसीसी रक्षा कंपनी डसॉल्ट एविएशन भारत में 100 से अधिक राफेल लड़ाकू जेट का निर्माण करना चाहती है।
वायु सेना के लिए 36 राफेल जेट की आपूर्ति होने के बाद भारत ने नौसेना के लिए 26 राफेल समुद्री विमान खरीदने का इरादा जताया है, जिन्हें आईएनएस विक्रांत पर तैनात किया जाना है। भारत को आपूर्ति 36 विमानों में लगाए गए फ्रांसीसी हथियार काफी महंगे हैं, इसीलिए भारतीय वायु सेना ने फ्रांसीसी फर्म से राफेल लड़ाकू विमानों को भारत में बने हथियारों से लैस करने के लिए कहा है। इनमें स्वदेशी हवा में मार करने वाली मिसाइल ‘एस्ट्रा एयर’ और स्मार्ट एंटी एयरफील्ड वेपन (एसएएडब्ल्यू) हैं। बहुत जल्द स्ट्राइक रेंज वाली एस्ट्रा मार्क-2 को 160 किलोमीटर तक बढ़ाया जाएगा। इसके एडवांस वर्जन की मारक क्षमता 300 किलोमीटर तक होगी। भारतीय हथियार प्रणालियों को पहले से ही स्वदेशी एलसीए तेजस और सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान में एकीकृत किया गया है।

रक्षा अधिकारियों ने बताया कि राफेल में भारतीय हथियार एकीकृत होने के बाद उनके लिए एक बड़ा बाजार हो सकता है। वायु सेना के शीर्ष अधिकारी संघर्ष के समय ‘आत्मनिर्भर’ होने के लिए अपनी जरूरतों को लेकर स्वदेशी समाधानों पर जोर दे रहे हैं। चीन के साथ चल रहे गतिरोध के दौरान पूर्वी लद्दाख में कई स्वदेशी हथियार प्रणालियों को तैनात किया गया है। इनमें हवा से हवा में मार करने वाली एस्ट्रा मिसाइलें 100 किलोमीटर की दूरी तक लक्ष्य पर हमला करने में सक्षम हैं। स्मार्ट एंटी एयरफील्ड वेपन 100 किलोमीटर से अधिक की दूरी पर भी लक्ष्य को मार सकता है। इसके उन्नत संस्करण भी विकसित किए जा रहे हैं।
साभार -हिस

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