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थैलेसीमिया की बीमारी रोकने का होगा कारगर उपाय
गांधीनगर/अहमदाबाद, गुजरात में शादी के रजिस्ट्रेशन के लिए पति-पत्नी का थैलेसीमिया सर्टिफिकेट अनिवार्य किया जाएगा। इसके बाद शादी का रजिस्ट्रेशन कराने आए दंपती को थैलेसीमिया जांच का सर्टिफिकेट देना पड़ेगा। राज्य में थैलेसीमिया ग्रस्त बच्चों के जन्म को रोकने के लिए सरकार की ओर से यह नया नियम लागू किया जाएगा। हालांकि सरकार की ओर से इसकी आधिकारिक घोषणा होना अभी बाकी है।
शादी के रजिस्ट्रेशन के लिए गुजरात में मान्य चिकित्सकों से थैलेसीमिया संबंधित जांच का प्रमाणपत्र देना अब अनिवार्य हो जाएगा। थैलेसीमिया रक्त की विकृति के साथ जुड़ी बीमारी है। थैलेसीमिया पीड़ित होने पर हिमोग्लोबिन बनाने की प्रक्रिया अव्यवस्थित या खराब हो जाती है। इसकी वजह से लाल रक्त कणों की संख्या बहुत कम हो जाती है। देश में थैलेसीमिया ग्रस्त बालकों के जन्म लेने की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में गुजरात सरकार का यह निर्णय कई मायनों में महत्वपूर्ण साबित होगा।
थैलेसीमिया जांच से रुकेगी बीमारी
थैलेसीमिया जागृति फाउंडेशन के अनुसार थैलेसीमिया सामान्य रूप से दो प्रकार का होता है, थैलेसीमिया माइनर और थैलेसीमिया मेजर। माता-पिता में से यदि किसी एक में गुणसूत्रों (क्रोमोजोम) में खामी होती है तो संतान में माइनर थैलेसीमिया हो सकता है। यदि माता-पिता दोनों में क्रोमोजोम में खामी हो तो थैलेसीमिया मेजर हो सकता है। थैलेसीमिया माइनर को थैलेसीमिया कैरियर अथवा थैलेसीमिया वाहक भी कहा जाता है। थैलेसीमिया माइनर में गुणसूत्रों में दोष या असामान्यता होती है, लेकिन चूंकि कोई विकार नहीं होता है, वे आमतौर पर स्वस्थ और लक्षण-मुक्त होते हैं। यानी बाहर से स्वस्थ दिखने वाले किसी भी व्यक्ति को थैलेसीमिया माइनर हो सकता है। भारत में लगभग 4 से 5 करोड़ लोग थैलेसीमिया वाहक हैं, और 10 में से 8 लोगों को यह भी पता नहीं है कि वे थैलेसीमिया वाहक हैं।
इसलिए है जांच जरूरी
थैलेसीमिया माइनर कोई बीमारी नहीं बल्कि गुणसूत्र (क्रोमोसोमल) असामान्यता है, जबकि थैलेसीमिया मेजर एक घातक बीमारी है। थैलेसीमिया मेजर से पीड़ित व्यक्ति एनीमिया जैसी कई गंभीर समस्याओं से ग्रसित हो जाता है। यदि पति और पत्नी दोनों को थैलेसीमिया माइनर है, तो उनके बच्चे को थैलेसीमिया मेजर होने की संभावना 25 प्रतिशत होती है। इसके अलावा अगर पति-पत्नी में से किसी एक को थैलेसीमिया मेजर है तो भी बच्चे के थैलेसीमिया मेजर होने की संभावना बढ़ जाती है। भारत में हर साल लगभग 10,000 बच्चे थैलेसीमिया मेजर के साथ पैदा होते हैं।
गुजरात में 15 साल से चल रहा अभियान
गुजरात में थैलेसीमिया बीमारी को जड़-मूल से नष्ट करने के लिए गुजरात सरकार पिछले 15 साल से कार्य कर रही है। इस क्षेत्र में गुजरात ने कई नई पहल और व्यवस्थित आयोजन कर अन्य राज्यों के लिए रोल मॉडल बना है। राज्य सरकार ने सभी सरकारी अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं की थैलेसीमिया जांच शुरू कराई है। अब तक करीब 7 लाख गर्भवती महिलाओं की थैलेसीमिया जांच कराई गई है। इस प्रक्रिया से अब तक 500 गर्भस्थ थैलेसीमिया ग्रस्त बच्चों का जन्म होने से रोका जा सका है।
साभार -हिस