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हिंदू-सिख एकता की मिसाल थे प्रकाश सिंह बादल: अमित शाह

  • पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बादल की श्रद्धांजलि सभा में शामिल दिग्गज राजनीतिज्ञ

चंडीगढ़,पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की मौत के बाद गुरुवार को उनके पैतृक गांव में श्रद्धांजलि समागम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह सहित देशभर कई दिग्गज राजनीतिज्ञों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
पंजाब के दिग्गज नेता प्रकाश सिंह बादल का 25 अप्रैल को मोहाली के फोर्टिस हार्ट अस्पताल में निधन हो गया था। गुरुवार को बादल के पैतृक गांव बादल में अंतिम अरदास का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बादल को याद करते हुए कहा कि बादल साहब के जाने से जो क्षति हुई है, उसे भर पाना मुश्किल है। सिखों ने अपना सिपाही खो दिया है। गृहमंत्री ने कहा कि 70 साल के सार्वजनिक जीवन के बाद कोई चला जाए और कोई दुश्मन ना हो, यह संभव नहीं। प्रकाश सिंह बादल उसकी सबसे बड़ी मिसाल हैं। शाह ने कहा कि प्रकाश सिंह बादल ने नए पंजाब की नींव रखी। हिंदू सिख एकता के लिए प्रकाश सिंह बादल ने बहुत काम किया। अमित शाह ने कहा कि 1970 से आज तक जब भी देश लिए खड़ा होने का मौका आया वो खड़े हुए। सब से लंबा समय जेल में रहकर उन्होंने मिसाल कायम की। इमरजेंसी में वो पहाड़ की तरह खड़े रहे। उनका जाना देश के लिए यह क्षति है।

अंतिम अरदास कार्यक्रम में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, राधा स्वामी डेरा ब्यास के मुखी गुरिंदर ढिल्लों व हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला भी शामिल हुए।प्रकाश सिंह बादल को एसजीपीसी प्रधान एचएस धामी, अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह, दरबार साहिब के हैडग्रंथी ज्ञानी जगतार सिंह, माकर्सवादी नेता कामरेड हरदेव सिंह अरशी, प्रेम सिंह चंदूमाजरा, किसान नेता राकेश टिकैत सहित कई गणमान्यों ने श्रद्धांजलि दी।
उल्लेखनीय है कि बादल की मौत की खबर मिलने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चंडीगढ़ पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी थी।

बादल का राजनीतिक सफरनामा

प्रकाश सिंह बादल ने वर्ष 1947 से राजनीति शुरू की थी। उन्होंने सरपंच का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। तब वे सबसे कम उम्र के सरपंच बने थे। वर्ष 1957 में उन्होंने पहला विधानसभा चुनाव लड़ा। वर्ष1969 में उन्होंने दोबारा जीत हासिल की। वर्ष 1969-70 तक वे पंचायत राज, पशु पालन, डेयरी आदि मंत्रालयों के मंत्री रहे। इसके अलावा वे वर्ष 1970-71 में सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बने। इसके बाद वर्ष 1977-80, 1997-2002 में पंजाब के मुख्यमंत्री बने। वे वर्ष 1972, 1980 और 2002 में विरोधी दल के नेता भी बने। मोरारजी देसाई के प्रधानमंत्री रहते वे सांसद भी चुने गए। वर्ष 2022 का पंजाब विधानसभा चुनाव लडऩे के बाद वे सबसे अधिक उम्र के उम्मीदवार भी बने थे।
साभार -हिस

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