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ई-कोर्ट फेस थ्री योजना में वर्चुअल कोर्ट और पेपरलेस होगी कानूनी प्रक्रिया : किरेन रिजिजू

उदयपुर, केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि अब नए तकनीकी दौर में वर्चुअल कोर्ट का जमाना आ गया है। हमें हाई कोर्ट में सुनवाई के लिए एक शहर से दूसरे शहर तक महंगा ईंधन खर्च करके जाने की जरूरत नहीं है। ई-कोर्ट फेस थ्री में यह सब कुछ संभव हो जाएगा। उन्होंने कहा कि हम भारतीय न्याय व्यवस्था को पेपरलेस और वर्चुअल बनाने जा रहे हैं।

रिजिजू शनिवार को यहां मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के विवेकानंद सभागार में दो दिवसीय सम्मेलन के पहले दिन उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। भारत सरकार के विधि आयोग और मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के विधि महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में “भारत में सतत विकास: क्रमागत उन्नति और कानूनी परिप्रेक्ष्य” विषयक इस सम्मेलन में रिजिजू ने कहा कि ई-कोर्ट फेस 2 के तहत कोविड-19 लॉकडाउन में भी वर्चुअल मोड पर न्यायालय चल रहे थे।

उन्होंने कहा कि अब हम ई-कोर्ट फेस थ्री में आगे बढ़ रहे हैं, जिसके तहत न्यायिक प्रक्रिया को और चुस्त-दुरुस्त बनाएंगे। उन्होंने कहा कि भारत में न्यायालय में लंबित केसों की लंबी फेहरिस्त है। केस पेंडिंग होना और न्याय में विलंब होना देश और समाज को शोभा नहीं देता। सरकार चाहती है कि न्याय प्रक्रिया तेज हो। न्यायाधीशों पर काम का अत्यधिक दबाव है। हम उसे भी कम करना चाहते हैं। इसलिए केंद्र सरकार डायनामिक लीगल सिस्टम विकसित करना चाहती है।
उन्होंने कहा कि पिछले 8 सालों में सरकार ने 1486 ऐसे कानून हटा दिए जिनकी कोई प्रासंगिकता नहीं थी और 67 ऐसे कानूनों को हटाने की प्रक्रिया जारी है जो किसी भी परिपेक्ष में काम के नहीं है। इसके लिए संसद में बिल लेकर आ गए हैं। जो कानून काम का नहीं होगा उसको हटाने का अभियान तेज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि उदयपुर न्यायालय की कई समस्याएं मेरे सामने आई है। यहां का भवन भी छोटा है और यहां पर बुनियादी समस्याएं भी है। स्मार्ट रूम, शौचालय और अन्य लोगों के बैठने की समुचित व्यवस्था की समस्याओं के बारे में मेरा ध्यानाकर्षण किया गया है। यदि मेरे पास प्रस्ताव भेजा जाएगा तो मैं निश्चित तौर पर उदयपुर न्यायालय के लिए जरूर कुछ करूंगा।

इस अवसर पर केंद्रीय कानून राज्यमंत्री प्रो एसपी सिंह बघेल ने कहा कि भारत सरकार ने 10 करोड़ शौचालय बनाकर स्वस्थ भारत अभियान के तहत इज्जत घर बनवाए हैं। यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। कार्बन उत्सर्जन के क्षेत्र में भी हम लोगों ने 20 प्रतिशत एथेनॉल वाला इंजन तैयार किया है। साथ ही सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाकर एक नजीर पेश की है। उन्होंने कहा कि भारत ईको सिस्टम वाला देश है जहां देवी देवताओं की सवारी जिन प्राणियों पर होती है हम सब उनकी पूजा करते हैं। वेदों में भी यही अंकित है। पर्यावरण को बचाने के लिए हम सबको मिलकर काम करना होगा।
इस अवसर पर राजस्थान हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव ने कहा कि पूरी दुनिया में हर क्षेत्र में प्रदूषण बढा है, लेकिन इसके लिए हमें चिंता नहीं, चिंतन करना होगा। सामाजिक और आर्थिक विकास को बढाते हुए पर्यावरण को भी सुरक्षित रखना होगा, यह सुनिश्चित करना जरूरी है। हमारे यहां प्रकृति की पूजा होती है और उसके संरक्षण के लिए कानूनों का प्रावधान भी है, लेकिन यदि इन कानूनों को हम हमारे दायित्वों में कर्तव्यों में शामिल कर लें तो प्रकृति के संरक्षण का काम आसान हो जाएगा। राइट टू लाइफ और विकास की गतिविधियां साथ-साथ चलाने के लिए जिम्मेदारी भरा व्यवहार भी आवश्यक है।
उद्घाटन सत्र में विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी ने कहा कि विकासशील देशों में सतत विकास पर्यावरण संरक्षण से ही संभव है। उन्होंने उपनिषदों वेदों और कौटिल्य अर्थशास्त्र के उदाहरण देते हुए कहा कि हमारे यहां पर पशुओं की पूजा की जाती है और हम पेड़ों को देवता के रूप में पूजते हैं। राजस्थान के विश्नोई समाज का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि पेड़ों को बचाने के लिए लोगों ने अपना बलिदान कर दिया। इसी प्रकार चिपको आंदोलन इसी का प्रतिरूप था। हमें भी अपने स्वार्थ और लालच से परे जाकर पर्यावरण बचाने के लिए प्रयास करने होंगे।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आईवी त्रिवेदी ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि यह सौभाग्य का विषय है इस तरह का महत्वपूर्ण आयोजन विश्वविद्यालय में हो रहा है। इससे न केवल विद्यार्थियों को सीखने समझने और शोध में मदद मिलेगी बल्कि एक समृद्ध अकादमिक वातावरण भी तैयार होगा।
इस दो दिवसीय आयोजन में विभिन्न सत्रों में कानून विद और कानूनी शिक्षा से जुड़े विद्वान चर्चा विमर्श करेंगे।
साभार -हिस

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