शिलांग, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को यहां पूर्वोत्तर परिषद (एनईसी) के स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर परिषद ने अष्टलक्ष्मी के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्रधानमंंत्री मोदी सिक्किम समेत पूर्वोत्तर के आठ राज्यों को अष्टलक्ष्मी के नाम से पुकारते हैं।
प्रधानमंत्री रविवार सुबह करीब 9.30 बजे विशेष विमान से गुवाहाटी के गोपीनाथ बोरदोलोई हवाई अड्डे पर उतरे। वह गुवाहाटी से वायुसेना के हेलीकॉप्टर से सुबह 10.20 बजे शिलांग पहुंचे। उन्होंने यहां एनईसी के स्वर्ण जयंती समारोह में भाग लिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों के सामाजिक-आर्थिक और समग्र विकास में पूर्वोत्तर परिषद के योगदान से कोई इनकार नहीं कर सकता। इस दौरान प्रधानमंत्री ने 2,450 करोड़ रुपये से अधिक लागत की कई परियोजनाओं का उद्घाटन एवं शिलान्यास किया।
प्रधानमंत्री ने क्षेत्र में दूरसंचार कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए 4जी मोबाइल टॉवर राष्ट्र को समर्पित किए। प्रधानमंत्री ने उम्सावली स्थित आईआईएम शिलांग के नए परिसर, शिलांग-डेंगपासोह रोड का उद्घाटन किया। शिलांग-डेंगपासोह सड़क नए शिलांग उपनगरीय टाउनशिप और आबादी वाले शिलांग को बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करने में मदद करेगी। उन्होंने मेघालय, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश जैसे तीन राज्यों में चार अन्य सड़कों का भी वर्चुअली उद्घाटन किया।
प्रधानमंत्री ने मेघालय के मशरूम विकास केंद्र में मशरूम उत्पादन बढ़ाने के लिए स्पॉन प्रयोगशाला का उद्घाटन किया। उन्होंने मेघालय में एकीकृत बी-कीपिंग विकास केंद्र का भी उद्घाटन किया ताकि क्षमता निर्माण और प्रौद्योगिकी विकास के माध्यम से पशुपालन करने वाले किसानों की आजीविका में सुधार किया जा सके। प्रधानमंत्री ने मिजोरम, मणिपुर, त्रिपुरा और असम में 21 हिंदी पुस्तकालयों का भी उद्घाटन किया।
प्रधानमंत्री ने असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा में छह सड़कों की आधारशिला भी रखी। प्रधानमंत्री ने तुरा और शिलांग प्रौद्योगिकी पार्क में दूसरे चरण के एकीकृत आतिथ्य और सम्मेलन केंद्र की आधारशिला रखी। दूसरे चरण में बनने वाला टेक्नोलॉजी पार्क एरिया करीब डेढ़ लाख वर्गफुट होगा। इससे पेशेवरों के लिए नए अवसर उपलब्ध होने और 3,000 से अधिक नौकरियां पैदा होने की उम्मीद है। इंटीग्रेटेड हॉस्पिटैलिटी एंड कन्वेंशन सेंटर में कॉन्फ्रेंस सेंटर, गेस्ट हाउस, फूड कोर्ट आदि होंगे। यह क्षेत्र में पर्यटन और सांस्कृतिक विरासत के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे का निर्माण करेगा।
साभार-हिस