नई दिल्ली,सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ 2007 में गोरखपुर में भड़काऊ भाषण देने के मामले में मुकदमे की इजाजत न देने के खिलाफ दायर याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा था कि सबूत नाकाफी हैं। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मामले में दखल देने से मना कर दिया था। हाई कोर्ट के इसी आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी है। 14 मई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता रशीद खान को योगी आदित्यनाथ समेत सभी अभियुक्तों को पक्षकार बनाने का निर्देश दिया था। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील फुजैल अय्युबी से सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि आपने बाकी अभियुक्तों को पक्षकार क्यों नहीं बनाया है तो उन्होंने कहा कि चूंकि हाई कोर्ट में रिवीजन पिटीशन अभियुक्त नंबर दो महेश खेमका ने दाखिल की थी इसलिए हमने उन्हें पक्षकार नहीं बनाया, लेकिन अभियुक्त सभी हैं।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गोरखपुर दंगों में योगी आदित्यनाथ की भूमिका की जांच मांग खारिज कर दी थी। याचिका में साल 2007 में हुए गोरखपुर दंगों में आदित्यनाथ की भूमिका की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से दोबारा जांच करवाने की मांग की गई थी। हाई कोर्ट के इसी फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है।
उल्लेखनीय है कि 2007 में आदित्यनाथ को शांतिभंग करने और हिंसा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। आरोप था कि दो समुदायों के बीच हिंसक झड़प में एक युवक की मौत के बाद उन्होंने समर्थकों के साथ मिलकर जुलूस निकाला था।
साभार-हिस