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जिंदगी में नारी को अपमानित करने वाली हर बात से मुक्ति का संकल्प लें – मोदी

नई दिल्ली। आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर लाल किला से झंडोत्तोलन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि मैं लाल किले से मेरी एक पीड़ा और कहना चाहता हूँ, यह दर्द मैं कहे बिना नहीं रह सकता। मैं जानता हूँ कि शायद यह लाल किले का विषय नहीं हो सकता। लेकिन मेरे भीतर का दर्द मैं कहाँ कहूँगा। देशवासियों के सामने नहीं कहूँगा तो कहाँ कहूंगा और वो है किसी न किसी कारण से हमारे अंदर एक ऐसी विकृति आयी है, हमारी बोलचाल में, हमारे व्यवहार में, हमारे कुछ शब्दों में हम नारी का अपमान करते हैं। क्या हम स्वभाव से, संस्कार से, रोजमर्रा की जिंदगी में नारी को अपमानित करने वाली हर बात से मुक्ति का संकल्प ले सकते हैं। नारी का गौरव राष्ट्र के सपने पूरे करने में बहुत बड़ी पूंजी बनने वाला है। यह सामर्थ्य मैं देख रहा हूँ और इसलिए मैं इस बात का आग्रही हूँ।
उन्होंने कहा कि मैं पांचवीं प्रणशक्ति की बात करता हूँ। और वो पांचवीं प्रणशक्ति है-नागरिक का कर्तव्य। दुनिया में जिन-जिन देशों ने प्रगति की है। जिन-जिन देशों ने कुछ achieve किया है, व्यक्तिगत जीवन में भी जिसने achieve किया है, कुछ बातें उभर करके सामने आती हैं। एक अनुशासित जीवन, दूसरा कर्तव्य के प्रति समर्पण। व्यक्ति के जीवन की सफलता हो, समाज की हो, परिवार की हो, राष्ट्र की हो। यह मूलभूत मार्ग है, यह मूलभूत प्रणशक्ति है।
उन्होंने कहा कि दुनिया में जिन-जिन देशों ने प्रगति की है, जिन-जिन देशों ने कुछ achieve किया है। व्‍यक्तिगत जीवन में भी जिसने achieve किया है। कुछ बातें उभर करके सामने आती है। एक अनुशासित जीवन, दूसरा कर्तव्‍य के प्रति समपर्ण। व्‍यक्ति के जीवन की सफलता हो, समाज की हो, परिवार की हो, राष्‍ट्र की हो, यह मूलभूत मार्ग है। यह मूलभूत प्रणशक्ति है और इसलिए हमें कर्तव्‍य पर बल देना ही होगा। यह शासन का काम है कि बिजली 24 घंटे पहुंचाने के लिए प्रयास करे, लेकिन यह नागरिक का कर्तव्‍य है कि जितनी ज्‍यादा यूनिट बिजली बचा सकते है बचाएं। हर खेत में पानी पहुंचाना सरकार की जिम्‍मेदारी है, सरकार का प्रयास है, लेकिन ‘per drop more crop’ पानी बचाते हुए आगे बढ़ना मेरे हर खेत से आवाज़ उठनी चाहिए। केमिकल मुक्‍त खेती, ऑर्गेनिक फार्मिंग, प्राकृतिक खेती यह हमारा कर्तव्‍य है।
उन्होंने कहा कि साथियों, चाहे पुलिस हो, या पीपुल हो, शासक हो या प्रशासक हो, यह नागरिक कर्तव्‍य से कोई अछूता नहीं हो सकता। हर कोई अगर नागरिक के कर्तव्‍यों को निभाएगा तो मुझे विश्‍वास है कि हम इच्छित लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने में समय से पहले सिद्धि प्राप्‍त कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि आज महर्षि अरबिंदों की जन्‍म जयंती भी है। मैं उस महापुरूष के चरणों में नमन करता हूं। लेकिन हमें उस महापुरूष को याद करना होगा जिन्‍होंने कहा था स्‍वदेशी से स्‍वराज, स्‍वराज से सुराज। यह उनका मंत्र है हम सबको सोचना होगा कि हम कब तक दुनिया के और लोगों पर निर्भर रहेंगे। क्‍या हमारे देश को अन्‍न की आवश्‍यकता हो, हम out source कर सकते हैं क्‍या? जब देश ने तय कर लिया कि हमारा पेट हम खुद भरेंगे, देश ने करके दिखाया या नहीं दिखाया, एक बार संकल्‍प लेते हैं तो होता है। और इसलिए आत्‍मनिर्भर भारत यह हर नागरिक का, हर सरकार का, समाज की हर ईकाई का यह दायित्‍व बन जाता है। यह आत्‍मनिर्भर भारत यह सरकारी एजेंडा, सरकारी कार्यक्रम नहीं है। यह समाज का जन आंदोलन है, जिसे हमें आगे बढ़ाना है।
उन्होंने कहा कि मेरे साथियों, आज जब हमने यह बात सुनी, आजादी के 75 साल के बाद जिस आवाज़ को सुनने के लिए हमारे कान तरस रहे थे, 75 साल के बाद वो आवाज़ सुनाई दी है। 75 साल के बाद लाल किले पर से तिरंगे को सलामी देने का काम पहली बार Made In India तोप ने किया है। कौन हिन्‍दुस्‍तानी होगा, जिसको यह बात, यह आवाज़ उसे नई प्रेरणा, ताकत नहीं देगी। और इसलिए मेरे प्‍यारे भाई-बहनों में आज मेरे देश के सेना के जवानों का हृदय से अभिनंदन करना चाहता हूं। मेरी आत्‍मनिर्भर की बात को संगठित स्‍वरूप में, साहस के स्‍वरूप में मेरी सेना के जवानों ने सेना नायकों ने जिस जिम्‍मेदारी के साथ कंधे पर उठाया है। मैं उनको जितनी salute करूं, उतनी कम है दोस्‍तों। उनको आज मैं सलाम करता हूं। क्‍योंकि सेना का जवान मौत को मुट्ठी में ले करके चलता है। मौत और जिंदगी के बीच में कोई फासला ही नहीं होता है, और तब बीच में वो डट करके खड़ा होता है। और वो मेरे सेना का जवान तय करे कि हम तीन सौ ऐसी चीजें अब list करते हैं जो हम विदेश से नहीं लाएंगे। हमारे देश का यह संकल्‍प छोटा नहीं है।

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