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गर्व कीजिए, हमारी विरासत को दुनिया अपना रही है – मोदी

नई दिल्ली। आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर लाल किला से झंडोत्तोलन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि आज डिजिटल इंडिया का रूप हम देख रहे हैं। स्टार्ट अप देख रहे हैं। कौन लोग हैं? ये वो टैलेंट है जो टीयर-2, टीयर-3 सीटी में किसी गांव गरीब के परिवार में बसे हुए लोग हैं। ये हमारे नौजवान हैं जो आज नई-नई खोज के साथ दुनिया के सामने आ रहे हैं। गुलामी की मानसिकता हमें उसे तिलांजलि देनी पड़ेगी। अपने सामर्थ्य पर भरोसा करने होगा।
दूसरी एक बात जो मैंने कही है, तीसरी मेरी प्रणशक्ति की बात है वो है हमारी विरासत पर। हमें गर्व होना चाहिए। जब हम अपनी धरती से जुड़ेंगे, जब हम अपनी धरती से जुड़ेंगे, तभी तो ऊंचा उड़ेंगे, और जब हम ऊंचा उड़ेंगे तो हम विश्व को भी समाधान दे पाएंगे। हमने देखा है जब हम अपनी चीजों पर गर्व करते हैं। आज दुनिया holistic health care की चर्चा कर रही है लेकिन जब holistic health care की चर्चा करती है तो उसकी नजर भारत के योग पर जाती है, भारत के आयुर्वेद पर जाती है, भारत के holistic lifestyle पर जाती है। ये हमारी विरासत है जो हम दुनिया का दे रहे हैं। दुनिया आज उससे प्रभावित हो रही है। अब हमारी ताकत देखिए। हम वो लोग हैं जो प्रकृति के साथ जीना जानते हैं। प्रकृति को प्रेम करना जानते हैं। आज विश्व पर्यावरण की जो समस्या से जूझ रहा है। हमारे पास वो विरासत है, ग्लोबल वार्मिंग की समस्याओं के समाधान का रास्ता हम लोगों के पास है। हमारे पूर्वजों ने दिया हुआ है।
उन्होंने कहा कि जब हम lifestyle की बात करते हैं, environment friendly lifestyle की बात करते हैं, हम life mission की बात करते हैं तो दुनिया का ध्यान आकर्षित करते हैं। हमारे पास ये सामर्थ्य है। हमारा बड़ा धान मोटा धान मिलेट, हमारे यहां तो घर-घर की चीज रही है। ये हमारी विरासत है, हमारे छोटे किसानों के परिश्रम से छोटी-छोटी जमीन के टुकड़ों में फलने फुलने वाली हमारी धान। आज दुनिया अंतराष्ट्रीय स्तर पर millet year मनाने के लिए आगे बढ़ रही है। मतलब हमारी विरासत को आज दुनिया अपना रही है, हम उस पर गर्व करना सीखें। हमारे पास दुनिया को बहुत कुछ देना है। हमारे family values विश्व के सामाजिक तनाव की जब चर्चा हो रही है। व्यक्तिगत तनाव की चर्चा होती है, तो लोगों को योग दिखता है। सामुहिक तनाव की बात होती है तब भारत की पारिवारिक व्यवस्था दिखती है। संयुक्त परिवार की एक पूंजी सदियों से हमारी माताओं-बहनों के त्याग बलिदान के कारण परिवार नाम की जो व्यवस्था विकसित हुई ये हमारी विरासत है। इस विरासत पर हम गर्व कैसे करें। हम तो वो लोग हैं जो जीव में भी शिव देखते हैं। हम वो लोग हैं जो नर में नारायण देखते हैं। हम वो लोग हैं जो नारी का नारायणी कहते हैं। हम वो लोग हैं जो पौधे में परमात्मा देखते हैं। हम वो लोग हैं जो नदी को मां मानते हैं। हम वो लोग हैं जो हर कंकर में शंकर देखते हैं। ये हमारा सामर्थ्य है हर नदी में मां का रूप देखते हैं। पर्यावरण की इतनी व्यापकता विशालता ये हमारा गौरव जब विश्व के सामने खुद गर्व करेंगे तो दुनिया करेगी।
उन्होंने कहा कि हम वो लोग हैं जिसने दुनिया को वसुधैव कुटुम्बकम् का मंत्र दिया है। हम वो लोग हैं जो दुनिया को कहते हैं ‘एकं सद्विप्रा बहुधा वदन्ति।’ आज जो ‘holier than thou’ का संकट जो चल रहा है, तुझसे बड़ा मैं हूँ, ये जो तनाव का कारण बना हुआ है दुनिया को एकं सद्विप्रा बहुधा वदन्ति का ज्ञान देने वाली विरासत हमारे पास है। जो कहते हैं सत्य एक है जानकार लोग उसको अलग-अलग तरीके से कहते हैं। यह गौरव हमारा है। हम लोग हैं, जो कहते हैं यत् पिण्डे तत् ब्रह्माण्डे, कितनी बड़ी सोच है, जो ब्रह्माण्ड में है वो हर जीव मात्र में है। यत् पिण्डे तत् ब्रह्माण्डे, यह कहने वाले हम लोग हैं। हम वो लोग हैं जिसने दुनिया का कल्याण देखा है, हम जग कल्याण से जन कल्याण के राही रहे हैं। जन कल्याण से जग कल्याण की राह पर चलने वाले हम लोग जब दुनिया की कामना करते हैं, तब कहते हैं- सर्वे भवन्तु सुखिनः। सर्वे सन्तु निरामयाः। सबके सुख की बात सबके आरोग्य की बात करना यह हमारी विरासत है। और इसलिए हम बड़ी शान के साथ हमारी इस विरासत का गर्व करना सीखे, यह प्रण शक्ति है हमारी, जो हमें 25 साल के सपने पूरा करने के लिए जरुरी है।
एक और महत्वपूर्ण विषय है एकता, एकजुटता। इतने बड़े देश को उसकी विविधता को हमें सेलिब्रेट करना है, इतने पंथ और परंपराएं यह हमारी आन-बान-शान है। कोई नीचा नहीं, कोई ऊंचा नहीं है, सब बराबर हैं। कोई मेरा नहीं, कोई पराया नहीं सब अपने हैं। यह भाव एकता के लिए बहुत जरुरी है। घर में भी एकता की नींव तभी रखी जाती है जब बेटा-बेटी एकसमान हो। अगर बेटा-बेटी एकसमान नहीं होंगे तो एकता के मंत्र नहीं गुथ सकते हैं। जेंडर इक्वैलिटी हमारी एकता में पहली शर्त है। जब हम एकता की बात करते हैं, अगर हमारे यहां एक ही पैरामीटर हो एक ही मानदंड हो, जिस मानदंड को हम कहे इंडिया फर्स्ट मैं जो कुछ भी कर रहा हूँ, जो भी सोच रहा हूँ, जो भी बोल रहा हूँ इंडिया फर्स्ट के अनुकुल है। एकता का रास्ता खुल जाएगा दोस्त। हमें एकता से बांधने का वो मंत्र है, हमें इसको पकड़ना है। मुझे पूरा विश्वास है, कि हम समाज के अंदर ऊंच-नीच के भेदभावों से मेरे-तेरे के भेदभावों से हम सबकी पुजारी बनें। श्रमेव जयते कहते हैं हम श्रमिक का सम्मान यह हमारा स्वभाव होना चाहिए।

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