नई दिल्ली। आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर लाल किला से झंडोत्तोलन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि जब सपने बड़े होते हैं, जब संकल्प बड़े होते हैं तो पुरुषार्थ भी बहुत बड़ा होता है। शक्ति भी बहुत बड़ा मात्रा में जुड़ जाती है। अब कोई कल्पना कर सकता है कि देश उस 40-42 के काल खंड को याद कीजिए, देश उठ खड़ा हुआ था। किसी ने हाथ में झाड़ू लिया था, किसी ने तकली ली थी, किसी ने सत्याग्रह का मार्ग चुना था, किसी ने संघर्ष का मार्ग चुना था, किसी ने काल क्रांति की वीरता का रास्ता चुना था। लेकिन संकल्प बड़ा था ‘आजादी’ और ताकत देखिए बड़ा संकल्प था तो आजादी लेकर रहे। हम आजाद हो गये। अगर संकल्प छोटा होता, सीमित होता तो शायद आज भी संघर्ष करने के दिन चालू रहते, लेकिन संकल्प बड़ा था, तो हमने हासिल भी किया।
उन्होंने कहा कि अब आज जब अमृत काल की पहली प्रभात है, तो हमें इन पच्चीस साल में विकसित भारत बना कर रहना है। अपनी आंखों के सामने और 20-22-25 साल के मेरे नौजवान, मेरे देश के मेरे सामने है, मेरे देश के नौजवानों जब देश आजादी के 100 साल मनाएगा। तब आप 50-55 के हुए होंगे, मतलब आपके जीवन का ये स्वर्णिम काल, आपकी उम्र के ये 25-30 साल भारत के सपनों को पूरा करने का काल है। आप संकल्प ले करके मेरे साथ चल पड़िए साथियों, तिंरगे झंडे की शपथ ले करके चल पड़िए, हम सब पूरी ताकत से लग जाएं। महासंकल्प, मेरा देश विकसित देश होगा, developed country होगा, विकास के हरेक पैरामीटर में हम मानवकेंद्री व्यवस्था को विकसित करेंगे, हमारे केंद्र में मानव होगा, हमारे केंद्र के मानव की आशा-आकांक्षाएं होंगी। हम जानते हैं, भारत जब बड़े संकल्प करता है तो करके भी दिखाता है।
उन्होंने कहा कि जब मैंने यहां स्वच्छता की बात कही थी मेरे पहले भाषण में, देश चल पड़ा है, जिससे जहां हो सका, स्वच्छता की ओर आगे बढ़ा और गंदगी के प्रति नफरत एक स्वभाव बनता गया है। यही तो देश है, जिसने इसको करके दिखाया है और कर भी रहा है, आगे भी कर रहा है; यही तो देश है, जिसने वैक्सीनेशन, दुनिया दुविधा में थी, 200 करोड़ का लक्ष्य पार कर लिया है, समय-सीमा में कर लिया है, पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ करके कर लिया है, ये देश कर सकता है। हमने तय किया था देश को खाड़ी के तेल पर हम गुजारा करते हैं, झाड़ी के तेल की ओर कैसे बढ़ें, 10 प्रतिशत इथेनॉल ब्लेडिंग का सपना बड़ा लगता था। पुराना इतिहास बताता था संभव नहीं है, लेकिन समय से पहले 10 प्रतिशत इथेनॉल ब्लेडिंग करके देश ने इस सपने को पूरा कर दिया है।
उन्होंने कहा कि ढाई करोड़ लोगों को इतने कम समय में बिजली कनेक्शन पहुंचाना, छोटा काम नहीं था, देश ने करके दिखाया। लाखों परिवारों के घर में ‘नल से जल’ पहुंचाने का काम आज देश तेज गति से कर रहा है। खुले में शौच से मुक्ति, भारत के अंदर आज संभव हो पाया है।
उन्होंने कहा कि अनुभव कहता है कि एक बार हम सब संकल्प ले करके चल पड़ें तो हम निर्धारित लक्ष्यों को पार कर सकते हैं। Renewable energy का लक्ष्य हो, देश में नए मेडिकल कॉलेज बनाने का इरादा हो, डॉक्टरों की तैयारी करवानी हो, हर क्षेत्र में पहले से गति बहुत बढ़ी है। और इसलिए मैं कहता हूं अब आने वाले 25 साल बड़े संकल्प के हों, यही हमारा प्रण, यही हमारा प्रण भी होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि दूसरी बात मैंने कही है, उस प्रण शक्ति की मैंने चर्चा की है कि गुलामी की मानसिकता, देश की सोच सोचिए भाइयो, कब तक दुनिया हमें सर्टिफिकेट बांटती रहेगी? कब तक दुनिया के सर्टिफिकेट पर हम गुजारा करेंगे? क्या हम अपने मानक नहीं बनाएंगे? क्या 130 करोड़ का देश अपने मानकों को पार करने के लिए पुरुषार्थ नहीं कर सकता है। हमें किसी भी हालत में औरों के जैसा दिखने की कोशिश करने की जरूरत नहीं है। हम जैसे हैं वैसे, लेकिन सामर्थ्य के साथ खड़े होंगे, ये हमारा मिजाज होना चाहिए। हमें गुलामी से मुक्ति चाहिए। हमारे मन के भीतर दूर-दूर सात समंदर के नीचे भी गुलामी का तत्व नहीं बचे रहना चाहिए साथियों। और मैं आशा से देखता हूं, जिस प्रकार से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनी है, जिस मंथन के साथ बनी है, कोटि-कोटि लोगों के विचार-प्रवाह को संकलित करते हुए बनी है और भारत की धरती की जमीन से जुड़ी हुई शिक्षा नीति बनी है, रसकस हमारी धरती के मिले हैं। हमने जो कौशल्य पर बल दिया है, ये एक ऐसा सामर्थ्य है, जो हमें गुलामी से मुक्ति की ताकत देगा।
उन्होंने कहा कि हमने देखा है कभी-कभी तो हमारा टेलेंट भाषा के बंधनों में बंध जाता है, ये गुलामी की मानसिकता का परिणाम है। हमें हमारे देश की हर भाषा पर गर्व होना चाहिए। हमें भाषा आती हो या न आती हो, लेकिन मेरे देश की भाषा है, मेरे पूर्वजों ने दुनिया को दी हुई ये भाषा है, हमें गर्व होना चाहिए।
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