नई दिल्ली,केन्द्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि देश की तीन लाख ग्राम पंचायतों में प्राथमिक कृषि ऋण समिति (पैक्स) के जाल को मजबूत किए जाए जाने की जरूरत है। इससे सहकारिता आंदोलन मजबूती से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ेगा। देश में अभी लगभग 95 हजार पैक्स हैं और इनमें से सिर्फ 65 हजार पैक्स अच्छे से काम कर रहे हैं।
शाह ने शुक्रवार को विज्ञान भवन में ‘ग्रामीण सहकारी बैंकों के राष्ट्रीय सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए कहा कि देश के कुछ राज्य ऐसे हैं जहां सहकारिता फल-फूल रहा है। कुछ राज्य ऐसे हैं जहां सहकारिता आंदोलन संघर्ष कर रहा है लेकिन कुछ राज्य ऐसे भी हैं जहां सहकारिता आंदोलन किताबों में ही सिमट कर रह गया है। ऐसे में अगर हमें पूरे देश में सहकारिता का समग्र विकास करना है तो देश की हर तहसील और पंचायत तक सहकारिता की पकड़ मजबूत करनी होगी। उन्होंने कहा कि देश में सहकारिता ने लगभग 120 वर्ष की यात्रा तय की है। इस दौरान देश ने बहुत कुछ हासिल किया है लेकिन बहुत कुछ और हासिल करना अभी बाकी है।
शाह ने कहा कि देश में लगभग 08 लाख 50 हजार सहकारी संस्थाएं हैं। इसमें क्रेडिट सोसाइटी एक लाख 78 हजार हैं। 34 राज्य सहकारी बैंक हैं। 351 जिला सहकारी बैंक देश में काम कर रहे हैं और इसकी 14 हजार शाखाएं हैं। ये सारे तंत्र देश के विकास में सहायक हैं। हमारे पुरखों ने सहकारिता की एक बड़ी श्रृंखला बनाई है। सहकारिता की इस मजबूत नींव पर हमें एक मजबूत इमारत बनाने की जरूरत है।
शाह ने कहा कि पैक्स हमारे ग्रामीण भारत और कृषि व्यवस्था की आत्मा हैं। सर्वस्पर्शी और समावेशी विकास के लिए इसको मजबूत किया जाना बहुत जरूरी है। इन पैक्स को प्रभावी और मजबूत बनाने में जिला सहकारी बैंक अहम भूमिका निभा सकते हैं। इस मिशन में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड ) राज्य सहकारी बैंक और जिला सहकारी बैंकों को मिलकर काम करना होगा और देश के हर पंचायत में एक मजबूत पैक्स बनाना होगा तभी हम सहकारिता आंदोलन को और अधिक मजबूत बना पाएंगे।
शाह ने कहा कि पैक्स से 13 करोड़ लोग सीधे तौर पर जुड़े हैं। पांच करोड़ सदस्य यहां से ऋण ले रहे हैं। ये पैक्स 02 लाख करोड़ रुपये का वितरण अभी कर पा पाए हैं। अगर हम देश की तीन लाख पंचायतों में पैक्स को मजबूत करने में सफल हो जाएं तो हम 10 लाख करोड़ रुपये के कृषि फाइनेंस के लक्ष्य को पूरा कर पाएंगे।
साभार -हिस