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उदयपुर हत्याकांड की मुस्लिम संगठनों, बुद्धजीवियों और सूफियों ने निन्दा की

  • दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग, देशवासियों से शांति बनाए रखने की अपील

नई दिल्ली,उदयपुर में कन्हैयालाल तेली की निर्मम हत्या किए जाने की चौतरफा कड़ी निन्दा की जा रही है। देश के मुस्लिम संगठनों, बुद्धिजीवियों, उलेमा और दरगाहों के सज्जादानशीन की तरफ से इस जघन्य अपराध के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की गई है। उन्होंने दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिए जाने की मांग की है।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक और ट्विटर पर आम मुसलमान भी इस जघन्य हत्याकांड के खिलाफ अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। वे इसे इस्लाम विरोधी करार देते हुए आरोपितों को फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन कर कड़ी से कड़ी सजा दिए जाने की मांग कर रहे हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कल से ही इस घटना की घोर निंदा की जा रही है और देशवासियों से शांति व्यवस्था बनाए रखने और कानून को हाथ में न लेने की अपील की जा रही है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने उदयपुर की घटना पर दुख प्रकट करते हुए कहा है कि किसी भी व्यक्ति को सजा देने का अधिकार कानून का है। किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। इस्लामी शरीयत भी इसकी इजाजत बिल्कुल नहीं देती है। उदयपुर की घटना निंदनीय है और इसे किसी भी सूरत में जायज नहीं ठहराया जा सकता है।
जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने एक ट्वीट करके उदयपुर की घटना की कड़े शब्दों में निन्दा की है। उनका कहना है कि इस्लाम इस तरह के अपराध की इजाजत नहीं देता है। इसके साथ ही उन्होंने सभी देशवासियों से शान्ति व्यवस्था बनाए रखने की अपील की है।
इंडियन मुस्लिम्स फॉर प्रोग्रेस एंड रिफॉर्म्स (इम्पार) के अध्यक्ष डॉ. एम. जे. खान ने कहा है कि उदयपुर में धर्म के नाम पर दो धार्मिक कट्टरपंथियों के जरिए किए गए अपराध का जघन्य कृत्य बेहद दर्दनाक और घृणित है। इम्पार धार्मिक कट्टरता के ऐसे कृत्यों की निंदा करता है और मांग करता है कि पुलिस को ऐसे चरमपंथियों और कट्टरपंथियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, जो सहानुभूति के पात्र नहीं हैं। सभ्य समाज में ऐसे अपराधियों की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। धर्म के नाम पर इस तरह के अमानवीय अपराध करने वाले इन धार्मिक चरमपंथियों को वास्तव में उस धर्म में कोई समझ या विश्वास नहीं है, जो सहिष्णुता और क्षमा सिखाता है। पैगंबर साहब का जीवन ही करुणा और क्षमा की मिसाल से भरा है।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने उदयपुर में की गई हत्या की निंदा की है। उन्होंने कहा कि जिसने भी इस घटना को अंजाम दिया, उसे किसी भी तरह से जायज नहीं ठहराया जा सकता। यह देश के कानून और हमारे धर्म के खिलाफ है। हमारे देश में कानून की व्यवस्था है। किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं है। उन्होंने देश के सभी नागरिकों से अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखने और देश में कानून व्यवस्था बनाए रखने में अपनी भूमिका निभाने की अपील की है।
मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय के पूर्व चांसलर फिरोज बख्त अहमद ने उदयपुर में कन्हैया लाल तेली की नृशंस हत्या को पैगंबर मोहम्मद साहब की मोहब्बत में किया गया काम नहीं बल्कि पूर्ण रूप से शैतानी, हैवानी, गैर इंसानी, गैर कानूनी और गैर इस्लामी कुकृत्य करार दिया है। उन्होंने राजस्थान और केंद्रीय सरकार से पुरजोर मांग की है कि कन्हैयालाल के इन दोनों जलील कातिलों को जिन्होंने इस्लाम को बदनाम किया है, फौरन फास्ट ट्रैक अदालत में फैसला देकर देश के सबसे बड़े मैदान में फांसी देकर या गोली मार कर उसी प्रकार से खत्म कर दिया जाए जैसा कि ईरान व कई इस्लामी देशों में होता है ताकि भारत सरकार की जानिब से ऐसे शैतानों को सख्त संदेश जाए।
इंटरफेथ हार्मनी फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. ख्वाजा इफ्तेखार अहमद ने उदयपुर की घटना पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि दो कट्टरपंथियों रियाज और गौस के हाथों कन्हैयालाल की हत्या ने हमें शर्मसार कर दिया है। इस्लाम के नाम पर अपराध करने की उनकी खुली स्वीकृति इसे और अधिक जघन्य बनाती है। ऐसा करने में उनका गर्व करना मानवीय अंतरात्मा को झकझोर कर रख देता है। यह इस्लाम के पैगंबर के नाम पर किया गया सबसे शर्मनाक और अमानवीय कृत्य है, जो अपनी अद्वितीय दया और क्षमा के लिए जाने जाते हैं। यह न केवल निंदनीय है बल्कि पूरी तरह से अक्षम्य भी है!
अजमेर दरगाह की सज्जादगान कमेटी के महासचिव सूफी सरवर चिश्ती ने भी उदयपुर घटना की कड़ी निन्दा करते हुए इसे एक जघन्य अपराध करार दिया है। उन्होंने सरकार से अपराधियो को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग की है। उनका कहना है कि अपराधियों को ऐसी सजा देनी चाहिए ताकि भविष्य में लोग इससे सबक हासिल करें।
साभार -हिस

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