एक जुलाई से सभी राज्यों में कम उपयोगिता और ज्यादा कूड़ा पैदा करने वाली ऐसी करीब 19 वस्तुओं के निर्माण, भंडारण, आयात, वितरण, बिक्री और उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। इन प्रतिबंधित वस्तुओं में स्ट्रॉ (पेय पदार्थ पीने वाला पाइप), स्टिरर ( पेय पदार्थ घोलने वाली प्लास्टिक की छड़), ईयर बड, कैंडी, गुब्बारे जिसमें प्लास्टिक की पाइप लगी होती है, प्लास्टिक के बर्तन (चम्मच, प्लेट आदि), सिगरेट के पैकेट, पैकेजिंग फिल्म और साज सज्जा में इस्तेमाल होने वाला थर्मोकोल शामिल है।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चार साल पहले सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने की शपथ ली थी। उसके बाद अब 01 जुलाई से देश इस दिशा में अपना पहला कदम उठाने जा रहा है। औसतन देश में एक व्यक्ति हर साल करीब 10 किलो प्लास्टिक का इस्तेमाल करता है। यानी भारत एक ऐसा देश है जहां हर साल करीब 35 लाख टन घरेलू प्लास्टिक का कचरा पैदा हो रहा है। ऐसे देश जहां हर साल इतना बड़ा कूड़े का अंबार लग रहा है, वहां 19 वस्तुओं को रोकना कोई मुश्किल और चुनौती भरी बात नहीं लगती है। लेकिन तमाम औद्योगिक बोर्ड से उठ रहा विरोध और प्रतिरोध दूसरी ही कहानी बयान करते हैं।
साभार -हिस
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