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खंडहर में बदल चुके विद्या के मंदिर को शिक्षा और भू-माफिया के चंगुल से छुड़ाया
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कैला भट्टे के कैला के इस स्कूल में पढ़ रहे मुस्लिम समुदाय के 100 से अधिक बच्चे
गाजियाबाद,देश की राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद में एक पार्षद की जिद, जज्बा और जुनून से खंडहर में बदल चुके सरकारी स्कूल में रौनक लौट आई है। अब यह स्कूल निजी विद्यालयों को मात दे रहा है। इसमें 100 से अधिक मुस्लिम बच्चे पढ़ रहे हैं। यह कहानी गाजियाबाद के मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र कैला भट्टे के कैला जनरल सरकारी प्राइमरी स्कूल की है।
यह स्कूल काफी पुराना है। 10-15 साल से लगातार हो रही सरकारी उपेक्षा और खराब प्रबंधन के कारण खंडहर में तब्दील हो गया। कमरों की छत उखड़ गईं। इससे विद्यार्थियों और शिक्षकों को असुविधा हो रही थी। अभिभावक भी परेशान थे। उन्होंने स्थानीय पार्षद जाकिर अली सैफी से गुहार लगाई। सैफी ने इसके जीर्णोद्धार का बीड़ा उठाया। करीब आठ-दस साल केसंघर्ष के बाद सफलता मिली। इसमें जिला अधिकारी आरके सिंह, नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर और महापौर आशा शर्मा ने भी सकारात्मक भूमिका निभाई। अब इस स्कूल में 100 से ज्यादा बच्चे अच्छे माहौल में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। नए बच्चों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है।
पार्षद जाकिर अली सैफी का कहना है-‘ इस स्कूल पर कुछ भू-माफिया और शिक्षा माफिया की नजर थी। वह इस पर कब्जा करने के प्रयास में थे। संकल्प को पूरा करने के लिए इन लोगों के खतरनाक इरादों से लोहा लेना पड़ा। इन लोगों ने इस काम में खूब अड़ंगा डाला। मगर जिला प्रशासन और नगर निगम प्रशासन के सहयोग से इनके मंसूबे पूरे नहीं हो सके।’
सैफी कहते हैं- ‘इस स्कूल से शिक्षा ग्रहण करने वाले कुछ लोग आज उच्च पदों पर सेवा दे रहे हैं । स्कूल शिक्षा का मंदिर होता है। शिक्षा व्यक्ति को सभ्य बनाती है। अल्पसंख्यक समुदाय में शिक्षा का पहले ही अभाव है। माफिया के मंसूबे विफल करने के बाद 22 लाख रुपये का बजट जारी कराया गया। शानदार स्कूल की बिल्डिंग तैयार हो चुकी है। बच्चे अच्छे माहौल में पढ़ रहे हैं। यह मेरे राजनीतिक जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है।’
इस इलाके के कदीर अहमद का कहना है कि भू-माफिया चाहता ही नहीं था कि स्कूल दोबारा वजूद में आए।जुझारू और फक्कड़ पार्षद के फौलादी इरादों से यह स्कूल दोबारा वजूद में आ गया है। यह स्थानीय लोगों के लिए खुशी की बात है। पार्षद सैफी से अन्य जनप्रतिनिधियों से प्रेरणा लेनी चाहिए।
साभार-हिस