उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी की इच्छा थी कि भारत की स्वतंत्रता के तुरंत बाद अवैध धर्मान्तरण पर रोक हेतु एक कठोर कानून बने। शायद उसी का परिणाम भी था कि मध्य प्रदेश, उड़ीसा, हिमाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में इस संबंध में कानून तत्कालीन कांग्रेस ने ही बनाए थे, जिसका विरोध किसी ने भी नहीं किया। किंतु अब जिस प्रकार बिल का विरोध कांग्रेस कर रही है उसने कांग्रेस के मुस्लिम लीगी चेहरे को बेनकाब कर दिया है।
डॉक्टर जैन ने पूछा कि क्या कांग्रेस को नहीं पता कि अब अवैध धर्मांतरण के सरगनाओं की सांठ-गांठ आतंकियों और राष्ट्र विरोधियों से है? क्या कांग्रेस को यह भी नहीं पता कि अवैध व जबरन धर्मांतरण के कारण जहां हिंदू अल्पसंख्यक हो गए हैं वहां ना उनकी आस्था सुरक्षित है, ना विश्वास, ना बेटियां और ना ही व्यापार? मेवात और कश्मीर घाटी जैसे अनेक हिंदू अल्पसंख्यक क्षेत्रों में जिहादियों के आतंक पर तो कांग्रेस ने आंखें ही मूंद रखी हैं। विश्व हिंदू परिषद मानती है कि पार्टी अपनी इस प्रकार की राष्ट्रघाती व आत्मघाती नीति को अविलंब बदले अन्यथा पहले से ही सिकुड़ती जा रही कांग्रेस की विलुप्त होने में अब और समय नहीं लगेगा।
विहिप के संयुक्त महा-सचिव ने यह भी कहा कि हरियाणा राज्य विधानसभा में बिल को क्रूरता पूर्ण तरीके से फाड़ कर उसने ना सिर्फ पीड़ित हिंदू समाज का अपमान किया है अपितु सदन की मर्यादा भंग कर अलोकतांत्रिक व्यवहार का परिचय भी दिया है। विश्व हिंदू परिषद इसकी घोर निंदा करती है।