नई दिल्ली, भारत ने यूक्रेन संकट से जुड़े सभी पक्षों से अधिकतम सयंम बरतने का आग्रह करते हुए कहा है कि हालात को और बिगड़ने नहीं देना चाहिए। भारत का मानना है कि सकारात्मक कूटनीति ही विवाद सुलझाने का सबसे अच्छा रास्ता है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जर्मनी के म्यूनिख में विभिन्न देशों के नेताओं से यूक्रेन संकट के संबंध में विचार-विमर्श किया है। विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन के दौरान विदेश मेंत्री ने यूक्रेन की स्थिति के बारे में अन्य देशों के नेताओं से चर्चा की। उन्होंने कहा कि ऐसा कुछ नहीं किया जाना चाहिए जिससे स्थिति अधिक बिगड़े। तनाव और टकराव को टाला जाना समय की मांग है।
विदेश सचिव ने कहा कि दुनिया एक नया संघर्ष नहीं चाहती। कुटनीति के जरिए ही सभी पक्षों को मान्य एक शांति पूर्ण समाधान तक पहुंचा जा सकता है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में यूक्रेन पर चर्चा के दौरान भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस त्रिमूर्ति ने कहा कि मिंस्क समझौता और नॉर्मंडी प्रारूप के तहत बातचीत के जरिए ऐसा समाधान को खोजा जाना चाहिए जिससे सभी पक्षों की सुरक्षा चिंताओं का समाधान हो। उन्होंने यूक्रेन के घटनाक्रम पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि उस देश में विशेषकर वहां के सीमावर्ती नगरों में 20 हजार से अधिक भारतीय छात्र और नागरिक रह रहे हैं। इनकी सुरक्षा को लेकर भारत को चिंता है।
भारत के स्थायी प्रतिनिधि ने अपने संबोधन में यूक्रेन के घटनाक्रम के संबंध में राष्ट्रपति पुतिन के फैसलों की आलोचना नहीं की। पहले की ही तरह भारत ने एक तटस्थ रवैया अपनाया। दूसरी ओर अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस सहित पश्चिमी देशों ने रूस पर अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करने, सीमा पर बड़ी संख्या में सैनिक तैनात करने और आक्रमक रवैया अपनाने का आरोप लगाया।
उल्लेखनीय है कि सोमवार को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के रूसी सीमा से लगे दो प्रांतों डोनेत्स्क और लुहांस्क को कुटनीतिक मान्यता देने की घोषणा की थी। इन प्रांतों में बड़ी संख्या में रूसी भाषी लोग रहते हैं तथा उन्होंने कीव (यूक्रेन राजधानी) के खिलाफ विद्रोह का झंडा उठाया हुआ है। रूस की कार्रवाई के खिलाफ अमेरिकी राष्ट्रपति के कार्यालय व्हाइट हाउस ने रूस के खिलाफ नए प्रतिबंध थोपने की चेतावनी दी है।
साभार-हिस