उल्लेखनीय है कि तमिलनाडु विधानसभा में नीट से छूट को लेकर आठ फरवरी को सर्वसम्मति से विधेयक पारित किया गया। यह विधेयक इसलिए लाया गय़ा था कि राज्यपाल आर एन रवि ने सितंबर 2021 में पारित इसी तरह के एक बिल को वापस लौटा दिया था।
अपने 24 पन्नों के भाषण में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यपाल ने संविधान के अनुच्छेद 254 (1) द्वारा विधानमंडल को दी गई विधायी शक्ति पर सवाल उठाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों के बीच प्रोटोकॉल संबंधों को संशोधित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा है कि नीट से छूट वाले विधेयक को राष्ट्रपति की सहमति के बिना 27 महीने के लिए रोक दिया गया था। बाद में राज्यपाल ने बिल वापस कर दिया जो विधानसभा के भावनाओं के खिलाफ है। इस तरह के टकराव न हो इसलिए केन्द्र सरकार को इस संबंध में उपाय करने चाहिए।
साभार-हिस
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