नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के भाजपा विधायक नीतेश राणे को हत्या की कोशिश के एक मामले में गिरफ्तारी से दस दिनों की राहत दे दी है। चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने नीतेश राणे को दस दिनों के अंदर सरेंडर करने का निर्देश दिया है।
नीतेश राणे केन्द्रीय मंत्री नारायण राणे के पुत्र हैं। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि नीतेश राणे को फर्जी तरीके से फंसाया गया है। शिकायतकर्ता दूसरी पार्टी का है। ये पूरा मामला राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का है। आरोप है कि शिकायतकर्ता पर पेपर कटर से हमला किया गया। नीतेश राणे विधायक हैं। जिला सहकारिता बैंक के चुनाव की पूर्व संध्या पर ये आरोप लगाए गए।
नीतेश राणे की अग्रिम जमानत याचिका बांबे हाईकोर्ट ने 17 जनवरी को खारिज कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि रोहतगी जितनी आसानी से कह रहे हैं, मामला उतना आसान नहीं है। नीतेश राणे ने अपने विश्वस्त सतपुते के साथ मिलकर इस अपराध को अंजाम दिया है। नीतेश ने सतपुते को शिकायकर्ता का फोटो दिखाया और कहा कि वो सिंधुदुर्ग में अफवाह फैला रहा है। सतपुते ने नीतेश के मोबाइल से फोटो लिया। आरोपित के मोबाइल फोन और कॉल डिटेल रिकॉर्ड को कब्जे में ले लिया गया है जिसके मुताबिक अपराध के पहले दोनों के बीच बातें हुई हैं। घटना के पीड़ित ने पहचान परेड के दौरान एक आरोपित की पहचान भी की है। एक आरोपित फरार है। उन्होंने कहा कि इस घटना में हिरासत में लेकर पूछताछ जरूरी है।
उसके बाद कोर्ट ने नीतेश राणे को दस दिनों की मोहलत देते हुए कहा कि इस बीच आप चाहें तो जमानत के लिए याचिका दायर कर सकते हैं। दस दिनों के बाद आप सरेंडर करें।
साभार-हिस
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