-
2019 में हमारी सरकार ने करतारपुर साहिब कॉरिडोर के निर्माण का काम पूरा किया
-
सिख समुदाय के बलिदान का गवाह है जलियांवाला बाग
नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की एकता और अखंडता में सिख गुरुओं के योगदान का स्मरण करते हुए शनिवार को कहा कि यह सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है कि कोई भी देश की एकता को नुकसान न पहुंचा सके।
प्रधानमंत्री ने पिछले दिनों पंजाब के गुरुद्वारों में बेअदबी के दो मामलों का जिक्र किये बिना कहा, “हमारे गुरु जिन खतरों से देश को आगाह करते थे, वो आज भी वैसे ही हैं। इसलिए हमें सतर्क भी रहना है और देश की सुरक्षा भी करनी है।” प्रधानमंत्री मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गुजरात के कच्छ में स्थित गुरुद्वारा लखपत साहिब में आयोजित गुरु नानक देव के गुरुपुरब समारोह को संबोधित कर रहे थे।
प्रधानमंत्री ने गुरु नानक देव की शिक्षाओं को चरितार्थ करने का आह्वान करते हुए कहा कि सभी का दायित्व है कि ऐसे महत्वपूर्ण समय में कोई हमारे सपनों पर, देश की एकजुटता पर आंच न ला सके। हमारे गुरु जिन सपनों के लिए जिये, जिन सपनों के लिए उन्होंने अपना जीवन खपा दिया, उनकी पूर्ति के लिए हम सभी एकजुट होकर चलें।
प्रधानमंत्री ने गुरुवारा लखपत साहिब के अतीत में व्यापार केंद्र और दूसरे देशों में जाने के मार्ग के रूप में स्थापित होने का जिक्र करते हुए कहा कि गुरुद्वारा लखपत साहिब समय की हर गति का साक्षी रहा है और इसने अनेक झंझावातों को झेला है।
प्रधानमंत्री ने गुरुद्वारा लखपत से साथ जुड़ी अपनी यादों को साझा करते हुए कहा, “2001 के भूकम्प के बाद मुझे गुरु कृपा से इस पवित्र स्थान की सेवा करने का सौभाग्य मिला था। मुझे याद है, तब देश के अलग-अलग हिस्सों से आए शिल्पियों ने इस स्थान के मौलिक गौरव को संरक्षित किया। प्राचीन लेखन शैली से यहां की दीवारों पर गुरुवाणी अंकित की गई। इस प्रोजेक्ट को तब यूनेस्को ने सम्मानित भी किया था।” उल्लेखनीय है कि नरेन्द्र मोदी उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे और उन्होंने गुरुद्वारे की मरम्मत का काम अविलम्ब शुरू करना सुनिश्चित किया था।
प्रधानमंत्री ने सिखों की आस्था और सुविधा के लिए उठाये गये कदमों का जिक्र करते हुए कहा कि दशकों से जिस करतारपुर साहिब कॉरिडोर की प्रतीक्षा थी, 2019 में हमारी सरकार ने ही उसके निर्माण का काम पूरा किया। उन्होंने हाल ही में अफगानिस्तान से ससम्मान गुरु ग्रंथ साहिब के स्वरूपों को भारत लाने के संबंध में कहा कि गुरु कृपा का इससे बड़ा अनुभव किसी के लिए और क्या हो सकता है?
प्रधानमंत्री ने अपनी अमेरिका यात्रा का स्मरण करते हुए कहा कि अमेरिका ने भारत को 150 से ज्यादा ऐतिहासिक वस्तुएं लौटाईं। इसमें से एक पेशकब्ज या छोटी तलवार भी है, जिस पर फारसी में गुरु हरगोबिंद जी का नाम लिखा है।
खालसा पंथ को गुजरात से जोड़ते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह गुजरात के लिए हमेशा गौरव की बात रहा है कि खालसा पंथ की स्थापना में अहम भूमिका निभाने वाले पंज प्यारों में से चौथे गुरसिख, भाई मोकहम सिंह जी गुजरात के ही थे। देवभूमि द्वारका में उनकी स्मृति में गुरुद्वारा बेट द्वारका भाई मोहकम सिंह का निर्माण हुआ है।
प्रधानमंत्री ने मुगलों और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में सिख गुरुओं के योगदान का स्मरण करते हुए कहा कि गुरु नानक देव जी और उनके बाद हमारे अलग-अलग गुरुओं ने भारत की चेतना को तो प्रज्वलित रखा ही, भारत को भी सुरक्षित रखने का मार्ग बनाया। उन्होंने कहा, “हमारे गुरुओं का योगदान केवल समाज और आध्यात्म तक ही सीमित नहीं है। बल्कि हमारा राष्ट्र, राष्ट्र का चिंतन, राष्ट्र की आस्था और अखंडता अगर आज सुरक्षित है, तो उसके भी मूल में सिख गुरुओं की महान तपस्या है।”
प्रधानमंत्री ने मुगल शासक औरंगजेब के खिलाफ गुरु तेग बहादुर की वीरता और बलिदान को याद किया। उन्होंने कहा, “औरंगजेब के खिलाफ गुरु तेग बहादुर का पराक्रम और उनका बलिदान हमें सिखाता है कि आतंक और मजहबी कट्टरता से देश कैसे लड़ता है।” इसी तरह, दशम गुरु, गुरुगोबिन्द सिंह साहिब का जीवन भी पग-पग पर तप और बलिदान का एक जीता जागता उदाहरण है।
देश की आजादी की लड़ाई में सिखों के योगदान के संबंध में उन्होंने कहा कि जलियांवाला बाग ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारत के संघर्ष के दौरान सिख समुदाय द्वारा किए गए बलिदान का गवाह है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज कश्मीर से कन्याकुमारी तक, कच्छ से कोहिमा तक, पूरा देश एक साथ सपने देख रहा है, एक साथ उनकी सिद्धि के लिए प्रयास कर रहा है। आज देश का मंत्र है- एक भारत, श्रेष्ठ भारत। आज देश का लक्ष्य है- एक नए समर्थ भारत का पुनरोदय। आज देश की नीति है- हर गरीब की सेवा, हर वंचित को प्राथमिकता।
प्रधानमंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को उनकी 97वीं जयंती पर नमन करते हुए कहा कि अटल जी का कच्छ से विशेष स्नेह था। भूकंप के बाद यहां हुए विकास कार्यों में अटल जी और उनकी सरकार कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रही थी।
उल्लेखनीय है कि हर वर्ष 23 दिसंबर से 25 दिसंबर तक गुजरात की सिख संगत गुरुद्वारा लखपत साहिब में गुरु नानक देव जी का गुरुपुरब मनाती है। गुरु नानक देव जी अपनी यात्रा के दौरान लखपत में ठहरे थे। गुरुद्वारा लखपत साहिब में उनकी कुछ वस्तुएं रखी हुई हैं, जैसे खड़ाऊं और पालकी सहित पांडुलिपियां और गुरुमुखी लिपि।
साभार-हिस