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रक्षा मंत्री पुणे में बहु-राष्ट्र आपदा प्रबंधन अभ्यास पेनेक्स-21 के साक्षी बने

  •  भारतीय सशस्त्र बलों ने प्राकृतिक आपदा की स्थिति में बचाव और राहत प्रयासों का समन्वित प्रदर्शन किया

  •  अभ्यास से भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए बिम्सटेक सदस्य देशों के बीच बेहतर समन्वय होगा

नई दिल्ली, बिम्सटेक सदस्य देशों के बीच पुणे में शुरू हुए बहु-राष्ट्र आपदा प्रबंधन अभ्यास पेनेक्स-21 के दूसरे दिन मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह साक्षी बने। उन्होंने किसी विशेष क्षेत्र में प्राकृतिक आपदा की स्थिति में त्वरित, समन्वित और राहत प्रयासों को शुरू करने के लिए भारतीय सशस्त्र बलों की क्षमताओं का प्रदर्शन देखा। बिम्सटेक देशों के साथ इस अभ्यास में भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना ने बचाव और राहत प्रयासों का समन्वित प्रदर्शन किया। 22 दिसंबर तक होने वाले इस अभ्यास में बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड और बिम्सटेक देश शामिल हो रहे हैं।

फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के सहयोग से आयोजित उपकरण प्रदर्शन का उद्देश्य आपदा राहत कार्यों पर भारतीय उद्योग की विशिष्ट औद्योगिक क्षमताओं और क्षमताओं का प्रदर्शन करना है। इस अवसर पर राजनाथ सिंह ने उत्पादों का एक संग्रह भी जारी किया। इस अभ्यास का उद्देश्य संयुक्त योजना को बढ़ावा देना और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए क्षेत्रीय सहयोग का निर्माण करना है। बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल (बिम्सटेक) सामान्य हितों के क्षेत्रों में सहयोग के लिए सात देशों का एक निकाय है। उन्होंने कहा कि महामारी के बाद की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए यह अभ्यास किया जा रहा है।
अपने संबोधन में राजनाथ सिंह ने बिम्सटेक को ‘घनिष्ठ समूह’ बताते हुए कहा कि इसमें मौजूदा सभ्यतागत बंधनों को मजबूत करके समान विचारधारा वाले देशों के बीच एक सहजीवी साझेदारी बनाने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि पेनेक्स-21 से क्षेत्र में एचएडीआर चुनौतियों का जवाब देने के लिए सामंजस्यपूर्ण तंत्र बनाने में प्रोत्साहन प्रदान करता है। रक्षा मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि इस अभ्यास से चक्रवातों और भूकंपों और कोरोना जैसे खतरों से संबंधित भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए बेहतर समन्वय की सुविधा होगी। यह उन लोगों को राहत प्रदान करने की प्रक्रिया को तेज करेगा, जो पहले से ही प्राकृतिक आपदा से परेशान हैं।

उन्होंने तटीय इलाकों में आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को गहरा करने, भूमि और समुद्री क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए क्षमता बढ़ाने, सतत क्षेत्रीय विकास की दिशा में काम करने, नीली अर्थव्यवस्था और प्राकृतिक आपदाओं, समुद्री डकैती और आतंकवाद जैसे गैर-पारंपरिक खतरों से निपटने के लिए सामूहिक कार्रवाई को बढ़ावा देने का आह्वान किया। रक्षा मंत्री ने भारतीय सशस्त्र बलों और भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) के एचएडीआर संचालन की प्रशंसा करते हुए कोरोना के खिलाफ लड़ाई में निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका का विशेष उल्लेख किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि न केवल सरकारी एजेंसियां, बल्कि निजी क्षेत्र, स्थानीय आबादी और गैर सरकारी संगठनों की भागीदारी एचएडीआर पहल की सफलता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
रक्षा मंत्री ने उम्मीद जताई कि पेनेक्स-21 भविष्य की आपदाओं का जवाब देने के लिए बिम्सटेक देशों के लिए आवश्यक कार्य करेगा। उन्होंने सदस्य राज्यों की सहायता के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) को मजबूत करने और आपदा राहत कार्यों के संचालन में तेजी लाने और कीमती जीवन बचाने का आह्वान किया। इस अवसर पर थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे, दक्षिणी कमान के जनरल ऑफिसर-कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल जेएस नैन और रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ नागरिक और सैन्य अधिकारी उपस्थित थे।
साभार-हिस

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