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एक दशक से भारतीय सेना के साथ सेवा में है पिनाकााा रॉकेट का पुराना लॉन्चर सिस्टम
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डीआरडीओ ने नया रॉकेट लॉन्चर सिस्टम मौजूदा जरूरतों के लिहाज से डिजाइन किया
नई दिल्ली, विस्तारित रेंज पिनाका (पिनाका-ईआर) मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर के नए सिस्टम का पोखरण रेंज में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। विभिन्न दूरियों से 24 रॉकेटों को विस्फोटक क्षमताओं के साथ दागा गया और सबने पूरी सटीकता तथा स्थिरता के साथ लक्ष्य को भेदा। रॉकेट लॉन्चर का पुराना सिस्टम पिछले एक दशक से भारतीय सेना के साथ सेवा में है। इस नई प्रणाली को सीमा बढ़ाने वाली उन्नत प्रौद्योगिकियों के साथ मौजूदा जरूरतों के लिहाज से डिजाइन किया गया है।
पिनाका की बढ़ी हुई मारक क्षमता तय हो जाने के बाद डीआरडीओ ने यह प्रणाली की प्रौद्योगिकी को भारतीय उद्योग को हस्तांतरित कर दी है। उद्योग साझीदार ने उक्त पिनाका एमके-1 रॉकेट का निर्माण किया। इसके उत्पादन और गुणवत्ता के लिए डीआरडीओ ने पूरा सहयोग किया था। इसके बाद विकसित रॉकेटों को क्षमता मूल्यांकन और गुणवत्ता प्रमाणीकरण की प्रक्रिया से गुजरना पड़ा। सेना के साथ डीआरडीओ ने पिछले तीन दिनों के दौरान पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में इन रॉकेटों की मारक क्षमता का मूल्यांकन तथा परीक्षण किया। इस दौरान उन्नत मारक क्षमता वाले पिनाका रॉकेटों का परीक्षण विभिन्न विस्फोटक क्षमताओं के साथ भिन्न-भिन्न दूरी से किया गया। डीआरडीओ के मुताबिक विभिन्न दूरियों से 24 रॉकेटों को विस्फोटक क्षमताओं के साथ दागा गया और सबने पूरी सटीकता तथा स्थिरता के साथ लक्ष्य को भेदा।
पिनाका-ईआर की प्रौद्योगिकी का शुरुआती चरण सफलतापूर्वक पूरा होने के बाद अब उद्योग साझीदार रॉकेट प्रणाली की पूरी शृंखला के उत्पादन के लिए तैयार है। यह पिनाका-ईआर सिस्टम पुराने मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर का उन्नत संस्करण है। पहले वाले पिनाका रॉकेट एक दशक से भारतीय सेना में शामिल हैं। इस प्रणाली की डिजाइन को मारक दूरी बढ़ाने की उन्नत प्रौद्योगिकी के साथ नई जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। इन परीक्षणों का उद्देश्य यह परखना था कि प्रौद्योगिकी को उद्योग साझीदारों ने किस तरह अपनाया है। पिनाका रॉकेटों के लिये स्वदेशी स्तर पर विकसित फ्यूजों का भी परीक्षण किया गया। पुणे स्थित एआरडीई ने पिनाका रॉकेटों के लिये कई अलग-अलग तरह के फ्यूज विकसित किए हैं। लगातार उड़ान परीक्षणों में फ्यूज का प्रदर्शन सटीक रहा।
इस प्रणाली को डीआरडीओ की प्रयोगशाला आयुध अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (एआरडीई) ने उच्च ऊर्जा सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला (एचईएमआरएल), पुणे के साथ डिजाइन करके भारतीय उद्योग को स्थानांतरित कर दिया है। इनका विकास समर्पित स्वदेशी अनुसंधान एवं विकास प्रयासों के जरिये देश में पहली बार किया गया है। स्वदेशी स्तर पर विकसित ये फ्यूज, आयातित फ्यूजों की जगह लेंगे तथा इससे विदेशी मुद्रा की बचत होगी। एआरडीई ने एडीएम के लिए लघु फ्यूज भी डिजाइन किए हैं। दोहरे उद्देश्य वाले डायरेक्ट-ऐक्शन सेल्फ डिस्ट्रक्शन (डीएएसडी) और एंटी-टैंक म्यूनिशन (एटीएम) फ्यूजों का मौजूदा उड़ान परीक्षणों के दौरान मूल्यांकन किया गया। इनके नतीजे भी संतोषजनक रहे। सभी परीक्षणों में सभी मिशन लक्ष्यों को सफलतापूर्वक पूरा किया गया।
साभार-हिस