नई दिल्ली, विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने सोमवार को कहा कि कोविड-19 महामारी के बाद वैश्विक भू-राजनीतिक वातावरण एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है और घनिष्ठ मित्र व रणनीतिक साझेदार के रूप में भारत और रूस साझा हितों की रक्षा और अपने लोगों के लिए शांति, प्रगति और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।
वार्ता में अपने शुरुआती वक्तव्य में विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद, हिंसक उग्रवाद और कट्टरपंथ लगातार वैश्विक चुनौतियां बनी हुई हैं। इस संबंध में अफगानिस्तान की स्थिति के व्यापक प्रभाव होंगे जिसमें मध्य एशिया भी शामिल हैं। पश्चिम और मध्य एशिया लगातार इसका हॉट स्पॉट बना हुआ है। उन्होंने कहा कि समुद्री सुरक्षा साझा चिंता का एक अन्य क्षेत्र है। ऐसे में आसियान की केंद्रीयता और आसियान-संचालित प्लेटफार्मों में दोनों देशों के समान हित हैं।
भारत और रूस के बीच सोमवार को रक्षा एवं विदेश मंत्री स्तर की वार्ता हुई। करीब दो घंटे चली इस वार्ता में भारत की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भाग लिया। वहीं रूस की ओर से विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और मंत्री सर्गेई शोइगु ने भाग लिया।
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और रूस के संबंध घनिष्ठ और समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं। बदलती दुनिया में भी संबंध असाधारण रूप से स्थिर हैं। दोनों देश राजनीतिक स्तर पर सक्रिय बातचीत कर रहे हैं और कई वर्षों से मजबूत रक्षा साझेदारी भी बनाए हुए है। टू प्लस टू वार्ता में दोनों देशों को पारस्परिक हित के राजनीतिक-सैन्य मुद्दों पर चर्चा करने का उपयुक्त मंच प्रदान करती है।
उन्होंने आगे कहा कि वार्ता प्रक्रिया बहुध्रुवीय और खुद को नए ढंग से संतुलित करते विश्व को ध्यान में रखकर हो रही है। एक ही शक्ति केंद्रित वैश्वीकरण के परिणामों को हम सभी ने देखा है। कोविड-19 महामारी ने वैश्विक मामलों के मौजूदा मॉडल पर सवाल खड़े किए हैं।
साभार-हिस