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उपराष्ट्रपति ने विद्यार्थियों को दी सीख, अब तक मिले गुरुओं को करें याद और नमन

  •  उपराष्ट्रपति ने डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विवि के दीक्षांत समारोह को किया संबोधित

पटना, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू दो दिवसीय दौरे के दूसरे दिन रविवार सुबह 09:55 बजे पूर्वी चंपारण (जिला मुख्यालय-मोतिहारी) के पिपराकोठी स्थित डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह में पहुंचे। सबसे पहले उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किया।
दीक्षांत समारोह में मौजूद छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि आप स्नातक हुए हैं। अनुभव के साथ गर्व भी हो रहा होगा। जरूरी है कि सभी छात्र बचपन से लेकर आज तक जो भी गुरु मिले उनको याद करें और उन्हें नमन करे। आपकी नई यात्रा प्रारंभ हो रही है। आशा है कि आप देश के विकास के योगदान में अपना अभूतपूर्व योगदान देंगे।
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कोरोना काल की चर्चा करते हुए कहा कि कोरोना काल में हेल्थ वर्कर और किसान बिना रुके काम करते रहे, जिससे देश इस महान संकट से बाहर निकल सका। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सरकार ने पूरे देश में लॉकडाउन लगाया गया था। इस दौरान मजदूरों के पलायन की भयावह स्थिति की भी उन्होंने चर्चा की। नालन्दा और तक्षशिला विश्वविद्यालय की चर्चा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि इन दोनों का भारत को विश्व गुरु बनाने में अहम योगदान रहा था।
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने रोजगार की स्थिति पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि खेती और इससे जुड़े व्यवसाय में ही वह ताकत है, जिससे लोग इस परेशानी से बच सकते हैं। लोगों को रोजगार मिल सकता है। उनकी हालत सुधर सकती है। कोरोना काल की चर्चा करते हुए कहा कि उस दौरान भारी संख्या में रिवर्स माइग्रेशन हुआ। लोग शहर छोड़कर गांव की तरफ पलायन कर गए। तब कृषि आधारित अर्थव्यस्था ने ही ऐसे लोगों को थामे रखा। अगर बेहतर तरीके से कार्य किये जाएं तो कृषि व्यवसाय में काफी रोजगार का सृजन हो सकता है। इससे रुरल से अर्बन एरिया में माइग्रेशन कम हो सकता है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में नए तकनीक आए दिन सामने आ रहे हैं। अब किसानों की आमदनी बढ़ाने को उन्नत तकनीकों का भी सहारा लिया जा रहा है। इसी कड़ी में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का प्रयोग क्रांतिकारी कदम है। कृषि के क्षेत्र में तकनीकों का सहारा लेकर टूरिज्म को भी बढ़ावा दिया जा सकता है। सरकार का सस्टेनेबल डेवलपमेंट पर खास ध्यान है। क्लीन इंडिया और उज्ज्वला योजना जैसी योजनाएं प्रधानमंत्री ने इसी कड़ी में शुरू किए हैं।
इस दौरान फार्मर प्रोड्यूसर आर्गेनाइजेशन की महत्ता की भी चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि किसानों के आर्थिक विकास में इसकी अहम भूमिका है। साथ ही फ़ूड प्रोसेसिंग की चर्चा करते हुए कहा कि इस क्षेत्र में भी भारत में भरपूर संभावना है। उन्होंने खुशी जताते हुए कहा कि विश्वविद्यालय इस दिशा में भी जल्द ही ट्रेनिंग शुरू करने जा रहा है।

उपराष्ट्रपति ने राधामोहन सिंह के कार्यों की तारीफ करते हुए कहा कि उनके प्रयास का ही नतीजा है कि पिपराकोठी कृषि के उन्नत केंद्र के रूप में आज हमारे सामने है। कोरोना के दौरान एग्रीकल्चर सेक्टर में हेल्थ वर्कर और किसान नहीं थमे। इन्ही दोनों ने देश को राहत दिलाई है। आज जरूरत है कि सभी लोग खेती को तवज्जो दें। एग्रीकल्चर ही हमारा कल्चर है। सरकार लगातार इस क्षेत्र में कार्य करती रही है।

दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा कि विगत वर्षों में पिपराकोठी बिहार की कृषि राजधानी बनकर उभरा है। एक समय पिपराकोठी में अंग्रेज किसानों का शोषण किया करते थे। आज उसी भूमि से किसानों के विकास और कल्याण की नई इबारत लिखी जा रही है। कृषि और इससे जुड़े उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा लगातार कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार बिहार में कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। कुछ लोग तो कुछ भी बोलते रहते हैं लेकिन उन्हें भी काम करने का मौका मिला था, उन्होंने क्या किया? राजग सरकार को जब सेवा का मौका मिला तब वह लगातार काम कर रही है। हमारी सरकार में रोड मैप के मुताबिक कार्य शुरू हुआ तो उसका बेहतर नतीजा मिला है। अब यहां की उत्पादकता दुगुनी हो गई है।
साभार-हिस

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