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चुम्बी घाटी से किबिथू तक तनाव बढ़ा, चीन की सेना के लौटने के बाद ऑपरेशनल अलर्ट जारी
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भारतीय पक्ष में सैनिकों की कई गुना पैदल गश्त बढ़ाई गई, हेलीकॉप्टरों और यूएवी से नजर
नई दिल्ली,चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने एक बार फिर अरुणाचल प्रदेश में घुसपैठ की है। भारतीय क्षेत्र में पड़ने वाले दिबांग घाटी जिले के जिकेन ला क्षेत्र में 3 किलोमीटर अंदर घुसकर शिविर लगाया। कुछ दिन के बाद चीन की सेना लौट गई। इसके बाद से ऑपरेशनल अलर्ट जारी किया गया है लेकिन चुम्बी घाटी से किबिथू तक तनाव बढ़ गया है। चीन की गतिविधियां बढ़ने के बाद से एलएसी के भारतीय पक्ष में सैनिकों की कई गुना पैदल गश्त बढ़ाई गई है और हेलीकॉप्टरों और यूएवी से नजर रखी जा रही है। सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी अग्रिम चौकियों के दौरे बढ़ाए हैं।
पिछले साल मई से एलएसी के करीब चीन की सैन्य गतिविधियों में तेजी के साथ बढ़ोतरी हुई है। पूर्वी क्षेत्र में बढ़ी भूमि और हवाई घुसपैठ को स्थानीय लोग 1962 के युद्ध के बाद से सबसे तेज वृद्धि बताते हैं। गलवान घाटी और पैन्गोंग झील के दोनों किनारों पर चीनी आक्रामकता को देखते हुए जवाब में भारत ने भी सीमावर्ती इलाकों में सड़कों और बुनियादी ढांचे को मजबूत किया है लेकिन खासकर पूर्वी अरुणाचल प्रदेश के विशाल क्षेत्र में अभी भी कई इलाके दुर्गम हैं जबकि लद्दाख के मोर्चे पर बहुत ध्यान केंद्रित किया गया है। कोर कमांडर स्तर की पिछली दो सैन्य वार्ताओं में चीन के रुख को देखते हुए उनके परिचालन क्षेत्रों में भारत की पैनी नजर है। दोनों सेनाओं की तैनाती पूर्वी लद्दाख की मौजूदा बर्फीली सर्दियों में भी जारी है।
वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पीएलए की गतिविधियां बढ़ने का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि चीन ने बीते अगस्त में एलएसी के पास उत्तराखंड के बाराहोती सेक्टर में हरकत की थी। यहां 100 से ज्यादा चीनी सैनिक 55 घोड़ों पर सवार होकर तुन जुन ला पास पार करके भारतीय सीमा में 5 किलोमीटर अंदर तक घुस आए और एक पुल में तोड़फोड़ करके वापस अपनी सीमा में भाग गए। इसके बाद करीब 200 चीनी सैनिकों ने अरुणाचल प्रदेश के रणनीतिक तवांग सेक्टर में घुसपैठ करके वहां खाली पड़े बंकरों को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया। एलएसी के भारतीय पक्ष में चीनी गश्ती दल के उल्लंघन का भारतीय सैनिकों ने कड़ा विरोध किया। इनमें से कुछ चीनी सैनिकों को भारत ने हिरासत में लिया और बाद में स्थानीय सैन्य कमांडरों की वार्ता के बाद रिहा किया गया।
अब इसके बाद अरुणाचल प्रदेश के सबसे कठिन पहुंच वाले अंजॉव क्षेत्र में किबिथु के पास दीचू रिज पर भूमि और हवाई दोनों तरह की घुसपैठ में वृद्धि देखी गई है। कुछ जगहों पर घुसपैठ करने वाले चीनी सैनिकों ने अस्थायी निर्माण भी किया है, जिसमें गलई-तुई झील भी शामिल है। इसके अलावा करंग नाला में गलई ठकरुई दर्रे पर भी घुसपैठ की गई है। उत्तरी अरुणाचल के सियुंग ला और डोम ला क्षेत्रों में भी घुसपैठ की सूचना मिली है। त्सारी नदी के साथ चीनी सैनिकों की आवाजाही में तेज वृद्धि देखी गई है, जो सीमा पार से अरुणाचल में एक प्रवेश बिंदु है। सीमावर्ती गांव मिग्यितुन के पास उन्नत आवासीय आवास, संचार सुविधाओं का निर्माण देखा गया है। अब चीन की नजर अरुणाचल प्रदेश की चुम्बी घाटी पर है जहां भारत के सिक्किम राज्य, भूटान और तिब्बत की सीमाएं मिलती हैं। यह घाटी भारत और भूटान के बीच रणनीतिक स्थान है जहां से पीएलए भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में तक पहुंच को चुनौती दे सकता है।
इसी तरह चीनी सैनिकों ने अब भारतीय क्षेत्र में पड़ने वाले दिबांग घाटी जिले के जिकेन ला क्षेत्र में 3 किलोमीटर अंदर तक घुसपैठ की है। पीएलए सैनिकों को एलएसी पार करने और कई दिनों तक शिविर लगाकर रहते हुए भी देखा गया है। पेट्रोलिंग प्वाइंट 4190 पर पीएलए के गश्ती दल देखे गए हैं। यहां शिविर लगाने के कुछ दिनों के बाद चीन की सेना लौट गई। इसके बाद से ऑपरेशनल अलर्ट जारी किया गया है लेकिन चुम्बी घाटी से किबिथू तक तनाव बढ़ गया है। हालांकि इस घटना पर भारतीय सेना की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की गई है लेकिन इसके बाद से ऑपरेशनल अलर्ट जारी किया गया है। चुम्बी घाटी से किबिथू तक तनाव बढ़ने के बाद से एलएसी के भारतीय पक्ष में सैनिकों की कई गुना पैदल गश्त बढ़ाई गई है और हेलीकॉप्टरों और यूएवी से नजर रखी जा रही है। सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी अग्रिम चौकियों के दौरे बढ़ाए हैं।
साभार-हिस