नई दिल्ली, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने स्वास्थ्य क्षेत्र में प्रशिक्षित मानव संसाधनों की कमी को युद्ध स्तर पर दूर करने और ‘ग्रामीण क्षेत्रों में ई-स्वास्थ्य पहलों को बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य सेवा में डिजिटल क्रांति का आह्वान किया है। उन्होंने वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुरूप स्वास्थ्य पर सार्वजनिक खर्च भी बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया है।
उपराष्ट्रपति शनिवार को विज्ञान भवन में विश्वविद्यालय चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय (यूसीएमएस), नई दिल्ली के दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने छात्रों को पुरस्कार प्रदान किये और स्मारिका का भी विमोचन किया।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के 1:1000 यानि प्रति 1000 लोगों पर एक डॉक्टर के मुकाबले भारत में 1:1,511 यानि 1511 लोगों पर एक डॉक्टर की कमी का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने देश के हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज और अस्पताल स्थापित करने के सरकार के इरादे के अनुरूप अधिक मेडिकल कॉलेज बनाने की आवश्यकता बताई है।
देश में पैरामेडिकल स्टाफ की कमी का उल्लेख करते हुए नायडू ने मिशन मोड में नर्सों को जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूएचओ के 1:300 के मानदंड की तुलना में भारत में 1:670) में सुधार करने का आह्वान किया। ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशिक्षित जनशक्ति की कमी पर उन्होंने गांवों में सेवा करने के लिए स्वास्थ्य देखभाल श्रमिकों को आकर्षित करने के लिए बेहतर प्रोत्साहन और बुनियादी ढांचा बनाने का सुझाव दिया।
नायडू ने जोर देकर कहा कि ‘सभी के लिए स्वास्थ्य’ के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में पहला कदम स्वास्थ्य पर सार्वजनिक खर्च को बढ़ाना है। उन्होंने 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि राज्यों को 2022 तक स्वास्थ्य पर खर्च को अपने संबंधित बजट के 8 प्रतिशत से अधिक तक बढ़ाना चाहिए और केंद्र और राज्यों के सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय को एक प्रगतिशील तरीके से बढ़ाकर 2025 तक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 2.5 प्रतिशत तक करना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक अत्याधुनिक अस्पताल स्थापित करने का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि चिकित्सा सलाह या परामर्श आम लोगों के लिए सुलभ और सस्ती होनी चाहिए।
स्वास्थ्य सेवा में पैरामेडिकल कर्मियों की ‘महत्वपूर्ण भूमिका’ की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे जो सेवा प्रदान करते हैं उसका महत्व महामारी के दौरान सामने आया क्योंकि उन्होंने पिछले एक साल में अथक परिश्रम किया। उन्होंने देखा कि भारतीय नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ ने अपने कौशल, समर्पण और देखभाल करने वाले स्वभाव के साथ वर्षों से विश्व स्तर पर एक महान प्रतिष्ठा और मांग अर्जित की है। उन्होंने कहा, “समय की आवश्यकता है कि हमारे युवाओं में जन्मजात कौशल का लाभ उठाकर और अधिक संबद्ध स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया जाए और हमारे सार्वजनिक स्वास्थ्य में उनके लिए एक बड़ी भूमिका निभाई जाए।”
उन्होंने संबद्ध स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित करने के लिए 13000 करोड़ रुपये से अधिक आवंटित करने के लिए 15वें वित्त आयोग की सिफारिश का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे 15 लाख और प्रशिक्षित कर्मी मिलने की संभावना है।
स्वास्थ्य देखभाल में नवाचार पर बोलते हुए नायडू ने कहा कि हाल के वर्षों में ई-स्वास्थ्य बड़े पैमाने पर सामने आया है और ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की कमी की समस्या को कम करने का वादा करता है। उन्होंने कहा, “ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट और स्मार्टफोन की बढ़ती पहुंच के साथ, ई-स्वास्थ्य स्वास्थ्य सेवा में हमारे मानव संसाधनों के इष्टतम उपयोग के लिए आगे का रास्ता है। नायडू ने कहा कि ई-स्वास्थ्य महिलाओं को सशक्त भी कर सकता है और मातृ स्वास्थ्य और अन्य मुद्दों पर जागरूकता ला सकता है।
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा विभिन्न ई-स्वास्थ्य पहलों का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने उन्हें और लोकप्रिय बनाने और उन्हें बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया। नायडू ने जोर देते हुए कहा कि भारत जब एक डिजिटल क्रांति के दौर से गुजर रहा है ऐसे में हमें इसका लाभ उठाना चाहिए और स्वास्थ्य सेवा में क्रांति लानी चाहिए।
‘डिजिटल स्वास्थ्य रिकॉर्ड’ के लाभों को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कुछ दिनों में प्रधानमंत्री डिजिटल स्वास्थ्य मिशन की शुरुआत कर सकते हैं।
स्वास्थ्य पर अत्यधिक खर्च पर चिंता व्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि इस तरह के स्वास्थ्य खर्च कम आय वाले परिवारों पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं जो गरीबी में धकेले जाने के जोखिम का सामना करते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की प्रमुख योजना, ‘आयुष्मान भारत’ ने कई गरीब परिवारों को माध्यमिक और तृतीयक देखभाल अस्पताल में भर्ती के लिए ‘स्वास्थ्य आश्वासन’ दिया है और अब तक 2 करोड़ से अधिक अस्पतालों को कवर किया है।
उपराष्ट्रपति ने महामारी के दौरान डॉक्टरों, स्वास्थ्य कर्मियों और अन्य फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं द्वारा दी जा रही निस्वार्थ सेवा की भी सराहना की। उन्होंने सभी पात्र लोगों का जल्द से जल्द टीकाकरण करने का आह्वान किया और कहा कि नागरिक समूह स्थानीय सरकारों के साथ मिलकर लोगों को टीकाकरण के लिए प्रोत्साहित करें।
दीक्षांत समारोहों के दौरान संकाय और अन्य लोगों द्वारा वस्त्र पहनने की प्रथा का उल्लेख करते हुए नायडू चाहते थे कि इसे बंद कर दिया जाए और ऐसे अवसरों पर साधारण, भारतीय पोशाक पहनने का सुझाव दिया। इस संदर्भ में उन्होंने शिक्षा प्रणाली का भारतीयकरण करने का भी आह्वान किया।
साभार-हिस