Home / National / आइए जानते हैं हिंदी पंचांग आज की तिथि तथा पुराणों के अनुसार श्राद्ध का महत्व …!!!

आइए जानते हैं हिंदी पंचांग आज की तिथि तथा पुराणों के अनुसार श्राद्ध का महत्व …!!!

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः
दिनांक 23 सितम्बर 2021
दिन – गुरुवार
विक्रम संवत – 2078 (गुजरात – 2077)
शक संवत -1943
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद
मास -अश्विन (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार – भाद्रपद)
पक्ष – कृष्ण
तिथि – द्वितीया सुबह 06:53 तक तत्पश्चात तृतीया
नक्षत्र – रेवती सुबह 06:44 तक तत्पश्चात अश्विनी
योग – ध्रुव दोपहर 01:49 तक तत्पश्चात व्याघात
राहुकाल – दोपहर 02:02 से शाम 03:32 तक
सूर्योदय – 06:28
सूर्यास्त – 18:32
दिशाशूल – दक्षिण दिशा में
व्रत पर्व विवरण – तृतीया का श्राद्ध
विशेष – द्वितीया को बृहती (छोटा बैगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
विघ्नों और मुसीबते दूर करने के लिए
24 सितम्बर, शुक्रवार को संकष्ट चतुर्थी (चन्द्रोदय रात्रि 08:47)
शिव पुराण में आता हैं कि हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी ( पूनम के बाद की ) के दिन सुबह में गणपतिजी का पूजन करें और रात को चन्द्रमा में गणपतिजी की भावना करके अर्घ्य दें और ये मंत्र बोलें :
ॐ गं गणपते नमः।
ॐ सोमाय नमः।
जानिए पुराणों के अनुसार श्राद्ध का महत्व
कुर्मपुराण : कुर्मपुराण में कहा गया है कि ‘जो प्राणी जिस किसी भी विधि से एकाग्रचित होकर श्राद्ध करता है, वह समस्त पापों से रहित होकर मुक्त हो जाता है और पुनः संसार चक्र में नहीं आता।’
गरुड़ पुराण : इस पुराण के अनुसार ‘पितृ पूजन (श्राद्धकर्म) से संतुष्ट होकर पितर मनुष्यों के लिए आयु, पुत्र, यश, स्वर्ग, कीर्ति, पुष्टि, बल, वैभव, सुख, धन और धान्य देते हैं।
मार्कण्डेय पुराण : इसके अनुसार ‘श्राद्ध से तृप्त होकर पितृगण श्राद्धकर्ता को दीर्घायु, सन्तति, धन, विद्या सुख, राज्य, स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करते हैं।
ब्रह्मपुराण : इसके अनुसार ‘जो व्यक्ति श्रद्धा-भक्ति से श्राद्ध करता है, उसके कुल में कोई भी दुःखी नहीं होता।’ साथ ही ब्रह्मपुराण में वर्णन है कि ‘श्रद्धा एवं विश्वास पूर्वक किए हुए श्राद्ध में पिण्डों पर गिरी हुई पानी की नन्हीं-नन्हीं बूंदों से पशु-पक्षियों की योनि में पड़े हुए पितरों का पोषण होता है। जिस कुल में जो बाल्यावस्था में ही मर गए हों, वे सम्मार्जन के जल से तृप्त हो जाते हैं।
भरणी श्राद्ध
24 सितम्बर 2021 को भरणी नक्षत्र होने के कारण भरणी श्राद्ध है। भरणी नक्षत्र के देवता यमराज होने के कारण भरणी श्राद्ध का विशेष महत्व है। सामान्यतः आश्विन पितृपक्ष (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार भाद्रपद) में चतुर्थी अथवा पंचमी को ही भरणी नक्षत्र आता है। कहा जाता है लोक – लोकान्तर की यात्रा जन्म, मृ्त्यु व पुन: जन्म उत्पत्ति का कारकत्व भरणी नक्षत्र के पास है अतः भरणी नक्षत्र के दिन श्राद्ध करने से पितरों को सद्गति मिलती है। महाभरणी श्राद्ध में कहीं भी श्राद्ध किया जाए, फल गयाश्राद्ध के बराबर मिलता है। यह श्राद्ध सभी कर सकते हैं।
भरणी नक्षत्र में श्राद्ध करने से श्राद्धकर्ता को उत्तम आयु प्राप्त होती है।
भरणी नक्षत्र में ब्राह्मण को काले तिल एवं गाय का दान करने से सद्गति प्राप्ति होती है व कष्ट कम होता है।

श्राद्ध की तिथियां (Shraddh dates 2021)

पूर्णिमा श्राद्ध – 20 सितंबर
प्रतिपदा श्राद्ध – 21 सितंबर
द्वितीया श्राद्ध – 22 सितंबर
तृतीया श्राद्ध – 23 सितंबर
चतुर्थी श्राद्ध – 24 सितंबर
पंचमी श्राद्ध – 25 सितंबर
षष्ठी श्राद्ध – 27 सितंबर
सप्तमी श्राद्ध – 28 सितंबर
अष्टमी श्राद्ध- 29 सितंबर
नवमी श्राद्ध – 30 सितंबर
दशमी श्राद्ध – 1 अक्टूबर
एकादशी श्राद्ध – 2 अक्टूबर
द्वादशी श्राद्ध- 3 अक्टूबर
त्रयोदशी श्राद्ध – 4 अक्टूबर
चतुर्दशी श्राद्ध- 5 अक्टूबर
अमावस्या श्राद्ध- 6 अक्टूबर

आप बेहद भाग्यशाली हैं कि आपका जन्म 23 को हुआ है। 23 का अंक आपस में मिलकर 5 होता है। 23 का अंक देखने पर ॐ का आभास देता है। जो कि भारतीय परंपरा में शुभ प्रतीक है। जबकि 5 का अंक बुध ग्रह का प्रतिनिधि करता है।

ऐसे व्यक्ति अधिकांशत: मितभाषी होते हैं। कवि, कलाकार, तथा अनेक विद्याओं के जानकार होते हैं। आपमें गजब की आकर्षण शक्ति होती है। आपमें लोगों को सहज अपना बना लेने का विशेष गुण होता है। अनजान व्यक्ति की मदद के लिए भी आप सदैव तैयार रहते हैं।

आपमें किसी भी प्रकार का परिवर्तन करना मुश्किल है। अर्थात अगर आप अच्छे स्वभाव के व्यक्ति हैं तो आपको कोई भी बुरी संगत बिगाड़ नहीं सकती। अगर आप खराब आचरण के हैं तो दुनिया की कोई भी ताकत आपको सुधार नहीं सकती। लेकिन सामान्यत: 23 तारीख को पैदा हुए व्यक्ति सौम्य स्वभाव के ही होते हैं।

शुभ दिनांक : 1, 5, 7, 14, 23
शुभ अंक : 1, 2, 3, 5, 9, 32, 41, 50
शुभ वर्ष : 2030, 2032, 2034, 2050, 2059, 2052
ईष्टदेव : देवी महालक्ष्मी, गणेशजी, मां अम्बे।
शुभ रंग : हरा, गुलाबी जामुनी, क्रीम
कैसा रहेगा यह वर्ष
वर्ष आपके लिए सफलताओं भरा रहेगा। अभी तक आ रही परेशानियां भी इस वर्ष दूर होती नजर आएंगी। परिवारिक प्रसन्नता रहेगी। संतान पक्ष से खुशखबर आ सकती है।

नौकरीपेशा व्यक्तियों के लिए यह वर्ष निश्चय ही सफलताओं भरा रहेगा। दाम्पत्य जीवन में मधुर वातावरण रहेगा। अविवाहित भी विवाह में बंधने को तैयार रहें। व्यापार-व्यवसाय में प्रगति से प्रसन्नता रहेगी।

Share this news

About desk

Check Also

प्रधानमंत्री मोदी काे मिला कुवैत का सर्वोच्च सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’

नई दिल्ली। कुवैत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपना सर्वोच्च सम्मान “द ऑर्डर का मुबारक …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *