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जासूसी मामले में भारतीय वायु सेना भी कर रही है पूछताछ

  •  दुबई के रास्ते पैसे का हुआ लेन-देन – अपराध शाखा

  •  मोबाइल फोन किये गये जब्त, की जायेगी फारेंसिक जांच

कटक. बालेश्वर के चांदीपुर में डीआरडीओ के एकीकृत परीक्षण रेंज में कथित जासूसी के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए पांच लोगों से भारतीय वायु सेना (आईएएफ) की तीन सदस्यीय टीम पूछताछ कर रही है. यह जानकारी मंगलवार को ओडिशा अपराध शाखा के एडीजी संजीव पंडा ने दी. उन्होंने बताया कि अपराध शाखा आरोपी व्यक्तियों को 7 दिन के रिमांड पर कटक स्थित मुख्यालय लायी है. क्राइम ब्रांच ने आरोपियों के मोबाइल फोन जब्त कर लिया है. उनके बैंक और सोशल मीडिया अकाउंट की विस्तृत जांच की जा रही है. उन्होंने बताया कि अब तक की जांच में पता चला है कि दुबई से दो किश्तों में एक आरोपी के बैंक खाते में 38,000 रुपये ट्रांसफर किए गए थे.
यह भी पता चला कि विभिन्न फर्जी पहचान का उपयोग कर एक महिला संचालक ने आरोपी व्यक्तियों के साथ संबंध स्थापित की थी. वह फेसबुक मैसेंजर और व्हाट्सएप के जरिए उनसे बातचीत कर रही थी. वह उनसे संपर्क करने के लिए यूके स्थित एक टेलीफोन नंबर का उपयोग कर रही थी.
पंडा ने बताया कि आरोपी व्यक्तियों के फोन फॉरेंसिक विश्लेषण के लिए भेजे जाएंगे और अन्य वित्तीय लेनदेन की जांच अपराध शाखा द्वारा की जाएगी.
इधर, अपराध शाखा के शीर्ष सूत्रों ने खुलासा किया कि यूपी स्थित हैंडलर पाकिस्तान में सीमा पार से अपने संपर्कों द्वारा भेजे गए रुपये के संरक्षक थे. जांच के दौरान अपराध शाखा को कुछ दस्तावेजों और सूचनाओं के बारे में पता चला है, जो आगे संकेत करते हैं कि पाकिस्तान के अलावा, बांग्लादेश में स्थित स्लीपर सेल द्वारा वित्तीय लेनदेन भी किए गए थे. इसके बाद राज्य में कुछ बांग्लादेशी अप्रवासी, जिन पर बांग्लादेश में स्लीपर सेल के लिए कोरियर होने का संदेह है, जांच एजेंसी की जांच के दायरे में आ गए हैं. सूत्रों ने कहा कि मनी ट्रायल को नियंत्रित करने वाले स्लीपर सेल के स्थानीय माध्यमों का पता लगाने के प्रयास जारी हैं. हमने बैंकों से मनी ट्रेल पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.
सूत्रों ने बताया कि सोमवार को वायु सेना की टीम ने कटक में अपराध शाखा मुख्यालय में डीआरडीओ के पांच गिरफ्तार कर्मचारियों से मैराथन पूछताछ की. लगभग पांच घंटे से अधिक समय तक दस्ते ने प्रत्येक आरोपी से अलग-अलग पूछताछ की.
पूछताछ के दौरान रक्षा अधिकारियों ने उस संवेदनशील जानकारी के बारे में विवरण प्राप्त करने की कोशिश की, जिसके बारे में माना जाता है कि आरोपी ने पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) को लीक कर दिया है. सूत्रों ने कहा कि गहन पूछताछ सत्र मुख्य रूप से हैंडलर की पहचान और जासूसी सिंडिकेट में डीआरडीओ के किसी भी हाई-प्रोफाइल अधिकारी की संभावित भागीदारी पर केंद्रित था.

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