नई दिल्ली, लोकसभा में राज्यों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) जातियों की सूची बनाने का अधिकार दिए जाने संबंधित संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा की शुरू हुई तो कांग्रेस ने विधेयक का समर्थन करते हुए 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा को खत्म करने के लिए विधेयक लाए जाने की मांग की।सदन में मंगलवार को संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021 को चर्चा के लिए पेश करते हुए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ वीरेन्द्र कुमार ने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से यह साफ करना है कि राज्यों को ओबीसी जातियों की सूची, उनकी सामाजिक स्थिति और आवश्यकता के अनुसार स्पष्ट करने का अधिकार मिल जाएगा।
डॉ वीरेन्द्र कुमार ने आगे कहा कि इस विधेयक से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की नौकरियों एवं शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश प्रक्रियाओं में स्थानीय सूचियों में शामिल ओबीसी जातियों को लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि इस संशोधन में राज्य ओबीसी आयोग से मशविरे की शर्त को भी हटा दिया गया है और इससे ओबीसी जातियों के युवाओं को रोजगार एवं शिक्षा की स्थिति में सुधार आएगा।
विपक्षी दलों ने इस विधेयक का स्वागत करते हुए कहा कि जनता के दबाव में सरकार को दो वर्ष पूर्व की गई गलती को सुधारने के लिए विवश होकर इस संशोधन को लाना पड़ा है। विपक्ष ने यह भी मांग की कि सरकार आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा को हटाने के लिए भी विधेयक लाए।कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि यह आरोप निराधार है कि कांग्रेस आदिवासी, दलित और ओबीसी समाज के पक्ष में नही है। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी ने नगर पालिका और पंचायत में अनुसूचित जातियों को आरक्षण दिया।चौधरी ने आगे कहा कि कांग्रेस इस विधेयक का समर्थन करती है । उन्होंने कहा कि वर्ष 2018 में संविधान के 102 वें संशोधन के वक्त विपक्ष ने साफ तौर पर सरकार को कहा था कि ओबीसी जातियों के चयन के राज्यों के अधिकार का हनन किया जा रहा है, लेकिन सरकार ने एक न सुनी। अगर सरकार उस वक्त विपक्ष की बात मानती तो आज यह विधेयक लाने की नौबत न आती।
कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार अपने संख्या बल के आगे किसी की भी नहीं सुनती। किंतु, लोकतंत्र में जनता की आवाज के आगे सबको झुकना ही पड़ता है. उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब समेत कई राज्यों में विधानसभा चुनाव आने वाले हैं इसलिए सरकार अब जनता को खुश करना चाहती है।
चौधरी ने कहा कि उनकी पार्टी इस विधेयक का स्वागत और समर्थन करती है। उन्होंने कहा कि सरकार को इस संविधान संशोधन के बाद वर्ष 1992 के इंदिरा साहनी मामले में आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा को हटाने के लिए भी एक विधेयक लाना चाहिए। जिस तरह तमिलनाडू में 698 प्रतिशत आरक्षण है, उसी प्रकार पूरे देश में होना चाहिए।
साभार – हिस