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देशवासियों के लिए उमंग, उत्सव, गौरव और क्रांति का महीना है ‘अगस्त’.

देश अपने 75वें स्वतंत्रता दिवस में प्रवेश कर चुका है. देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाइयां. वैसे तो हम अगस्त महीने को स्वतंत्रता दिवस के लिए ही मुख्य रूप से याद करते हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में अगस्त महीने में कई ऐतिहासिक फैसले और देश को गौरवान्वित करने वाले लम्हें आये हैं जिसके कारण हम अगस्त महीने को अगस्त क्रांति के नाम से याद रख सकते हैं. अब तो अगस्त महीने के आते ही मन में ऐसी उत्सुकता और उमंग जाग उठती है कि मानों देश के लिए पुनः कोई खुशखबरी आने वाली है. 15 अगस्त को अपना देश स्वतंत्र हुआ, यह तो हम सब जानते ही हैं. यह हमारा राष्ट्रीय पर्व भी है जिसपर हमें गर्व और खुशी है. लेकिन 5 अगस्त 2019 और 5 अगस्त 2020 को दो ऐसे फैसले आये जो हम सब के लिए एक सपना था. 5 अगस्त 2019 को मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 और 35अ हटाकर एक देश, एक विधान और एक संविधान के सपने को साकार किया. जम्मू कश्मीर को अखंड भारत का हिस्सा बनाया. यह एक ऐसा सपना था जो कभी भी साकार होने के बारे में सोंचा भी नहीं जा सकता था. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के दृढ़ संकल्प ने नामुमकिन को मुमकिन कर दिया. आज जम्मू कश्मीर में हर तरफ भारत का तिरंगा शान से लहरा रहा है. अगस्त महीने की दूसरी ऐतिहासिक फैसला अयोध्या का राम मंदिर पर फैसला है. 5 अगस्त 2020 को प्रभु श्री राम मंदिर भूमि पूजन सम्पन्न हुआ, जो देश के करोड़ों लोगों के आस्था से जुड़ा हुआ था. अयोध्या में श्री राम मंदिर को लेकर भी दशकों से देशवासियों को प्रतीक्षा थी. यह भी किसी आश्चर्य से कम नहीं था. क्योंकि राम मंदिर नहीं बन सके इसके लिए खूब राजनीतिक हथकंडे अपनाए गए. पर अंत में सत्य का विजय हुआ और प्रभु राम के आशीर्वाद से उनका एक भव्य मंदिर निर्माण के तरफ अग्रसर है. अगस्त 2019 में जम्मू कश्मीर और अगस्त 2020 में प्रभु श्री राम मंदिर भूमि पूजन के बाद अगस्त 2021 में टोकियो ओलंपिक से देश के लिए अनेकों खुशियां आईं. यहां 5 अगस्त को भारत की पुरूष हॉकी टीम ने ओलंपिक में 41 साल बाद मेडल जीतने में सफलता पाई. भारतीय हॉकी के लिए यह बेहद सुनहरा पल था. डूबती हुई हॉकी के लिए यह मेडल वरदान साबित होगा. महिला हॉकी टीम भी पहली बार ओलंपिक में सेमीफाइनल तक पहुंच कर इतिहास रच दिया. महिला हॉकी टीम मेडल तो नहीं जीत पाई लेकिन भारत की करोड़ों बेटियों को प्रेरित कर गई और उनके अंदर इस खेल के प्रति जोश भर गई. भारत की बेटियों ने मेडल नहीं जीता लेकिन हर हिंदुस्तानी का दिल जरूर जीत ले गईं. यह किसी क्रांति से कम नहीं. भारत की दूसरी बेटी मीराबाई चानू पहले ही सिल्वर मेडल से ओलंपिक में जीत का आगाज कर चुकी थी. बेटियों के बाद अगस्त में ही भारत के बेटों ने भी ओलंपिक मैडल जीतकर अगस्त क्रांति को यादगार और गौरवपूर्ण बना दिया. बजरंग पुनिया ने ब्रॉन्ज मेडल जीतने में सफलता प्राप्त की. लेकिन कुछ घंटे बाद अभी ओलंपिक से बहुत बड़ा मेडल आना अभी बाकी था. कुछ घंटों बाद ही भाला फेंक खेल में नीरज चोपड़ा ने गोल्ड मेडल जीतकर भारत को विश्व पटल पर खड़ा कर दिया. उन्होंने वो कर दिखया जो भारत ने आजतक कभी भी इस खेल में नहीं किया था. देशवासियों में खुशी का ठिकाना नहीं रहा जब नीरज चोपड़ा ने देश के लिए गोल्ड मेडल जीता. इसके अलावा अगस्त में एक और भी सुखद परिवर्तन हुआ. हॉकी के जादूगर ध्यानचंद के नाम पर देश का सबसे बड़ा खेल अवार्ड राजीव गांधी खेल रत्न का नामकरण किया गया. वास्तव में ध्यानचंद का नाम पाकर यह अवार्ड खुद सम्मानित हुआ. देश उनके खेल समर्पण के लिए सदैव आभारी रहेगा. करोड़ो खेल प्रेमियों को उम्मीद है कि उन्हें शीघ्र ही भारत रत्न से भी सम्मानित किया जाएगा जिसका वह हकदार हैं.अगस्त महीने का अभी समापन नहीं हुआ है. हो सकता है कुछ और खुशियां, कुछ और ऐतिहासिक फैसले महीने के अंत तक आ जाएं. एक बार पुनः पावन महीना अगस्त में पड़ने वाली स्वतंत्रता दिवस सहित सभी खुशियों के लिए हार्दिक शुभकामनाएं और बधाइयां.

विनय श्रीवास्तव (स्वतंत्र पत्रकार)

 

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