Home / International / ​​ लिपुलेख के करीब तैनात हुई चीनी सेना

​​ लिपुलेख के करीब तैनात हुई चीनी सेना

  • भारत ने भी 1000 सैनिकों की तैनाती करके चीन-नेपाल सीमा पर नजरें गड़ाईं

  • चीन ने पैंगॉन्ग झील में भी 13 बोट और सेना की टुकड़ी को तैनात किया

नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख के पैंगॉन्ग झील में अतिरिक्त बोट और सेना की टुकड़ी तैनात करने के साथ ही चीनी आर्मी पीएलए ने उत्तराखंड के लिपुलेख बॉर्डर अपनी गतिविधियां बढ़ाई हैं। चीन ने लिपुलेख पास पर करीब एक हजार से अधिक जवानों की तैनाती की है। यह वह जगह है जहां भारत, नेपाल और चीन की सीमाएं मिलती हैं। इसी जगह को नेपाल ने अपने नक्शे में दिखाकर भारत से रिश्ते तल्ख किये हैं। अब लिपुलेख में चीनी सेना की तैनाती होने से नेपाल से चीन की ‘दोस्ती’ का राज खुलने लगा है।
पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने भारत के इलाके उत्तराखंड के लिपुलेख पास पर एलएसी के पार एक बटालियन जवानों की तैनाती तेजी से बढ़ाई है। पीएलए के सैनिक एलएसी के पार लिपुलेख इलाके में देखे गए हैं। यह लिपुलेख पास वही इलाका है, जहां से भारत ने मानसरोवर यात्रा के लिए नया रूट बनाया है। लिपुलेख पास के जरिए एलएसी के आर-पार रहने वाले भारत और चीन के आदिवासी जून से अक्टूबर के दौरान व्यापार के सिलसिले में आवाजाही करते हैं। यह इलाका पिछले दिनों तब चर्चा में आया था जब नेपाल ने यहां भारत की बनाई 80 किलोमीटर की सड़क पर ऐतराज जताया था। फिर नेपाल ने अपने यहां नया नक्शा पास करके विवाद बढ़ाकर भारत से भी रिश्ते तल्ख कर लिये। नेपाल ने लिपुलेख के साथ ही कालापानी और लिम्पियाधुरा को भी अपना हिस्सा बताया था। फिलहाल भारत ने भी यहां 1000 सैनिकों की तैनाती करने के साथ-साथ ही नेपाल-चीन सीमा पर अपनी नजरें पैनी कर दी हैं।
लिपुलेख के पास चीनी सेना की बढ़ती गतिविधियों के बाद अब सवाल उठने लगा है कि क्या भारत के खिलाफ बयानबाजी के बीच नेपाल पड़ोसी देश चीन के साथ मिलकर कोई नई चाल चल रहा है? नेपाल ने नए नक्शे में भारतीय इलाकों कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को शामिल कर लिया। धारचूला (उत्तराखंड) के सीमावर्ती अपने इलाके में नेपाल स्थाई चौकियां और हेलीपैड का निर्माण कर रहा है। पिछले महीने उत्तराखंड के चंपावत जिले के सीमावर्ती टनकपुर इलाके में नो मेंस लैंड पर नेपाल ने पौधरोपण कर तारबाड़ लगाकर नया विवाद खड़ा करने का प्रयास किया है, जिस पर चंपावत जिला प्रशासन ने नेपाल के साथ अपना विरोध दर्ज कराया है। लिपुलेख भारत-चीन-नेपाल सीमा का ट्राइजंक्शन है।
सेना के सूत्रों ने बताया कि लिपुलेख पास पर सीमा से कुछ दूर पीएलए ने एक बटालियन तैनात की है, जिसमें करीब 1000 सैनिक हैं। भारत ने भी पीएलए सैनिकों के बराबर संख्या बढ़ा दी है और नेपाल पर भी नजर रखी जा रही है। वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने कहा कि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर स्थिति लगातार बदल रही है। चीनी सैनिक लद्दाख के अलावा दूसरे जगहों पर मौजूदगी बढ़ा रहे हैं और इन्फ्रास्ट्रक्चर को भी मजबूत किया जा रहा है। लद्दाख और दूसरी जगहों पर चीनी सैनिकों की आवाजाही के मुताबिक भारत ने भी अपने सैनिकों को तैयार रखा है।

पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच करीब तीन महीने से तनाव चल रहा है। चीन अब भी पैंगौंग झील से अपनी सेना पीछे हटाने के मूड में नहीं दिख रहा है। भारत और चीन के बीच जल्द होने वाली कॉर्प्स कमांडर की अगली पांचवी वार्ता इसी पर केंद्रित हो सकती है। चीन ने 14 जुलाई की बातचीत के बाद पैंगॉन्ग झील में अतिरिक्त बोट और सेना की टुकड़ी को तैनात किया है। पैंगॉन्ग झील के उत्तरी किनारे पर चीन ने नए कैंप बनाने शुरू कर दिए हैं। पैंगॉन्ग झील में और बोट उतारे जाने की नई चीनी चाल सेटेलाइट में कैद हो गई है, जिसमें यह भी साफ दिख रहा है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की नौसेना फिंगर-5 और फिंगर-6 में डेरा जमाए हुए हैं। फिंगर-5 पर पीएलए की तीन बोट और फिंगर-6 पर पीएलए की 10 बोट दिखाई दी हैं। हर बोट में 10 जवान सवार हैं यानी फिंगर-4 के बेहद करीब 130 जवान तैनात हैं।
दूसरी तरफ भारत में चीनी राजदूत सन वेईडोंग ने कहा है कि चीनी सेना पैंगौंग झील के उत्तरी किनारे पर पारंपरिक सीमा रेखा के मुताबिक अपने क्षेत्र में तैनात है। चीनी राजदूत ने इस बात को खारिज कर दिया कि चीन ने पैंगौंग झील तक अपने क्षेत्रीय दावे का विस्तार किया है। चीनी राजदूत का ये बयान ऐसे वक्त में आया है जब दोनों देशों के बीच कॉर्प्स कमांडर की पांचवें दौर की बातचीत होने वाली है। ‘इंस्टिट्यूट ऑफ चाइनीज स्टडीज’ के वेबिनार में चीनी राजदूत ने कहा कि चीन उम्मीद करता है कि भारतीय सेना महत्वपूर्ण द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल का पालन करेगी और अवैध तरीके से एलएसी पार कर चीन के इलाके में प्रवेश करने से बचेगी। चीनी राजदूत ने कहा कि दोनों पक्षों की साझा कोशिशों से सीमा पर अधिकतर इलाकों से सेनाएं पीछे हटी हैं और तनाव घट रहा है। चीनी राजदूत के बयान के बाद भारत ने भी कहा कि इस मामले में कुछ प्रगति हुई है लेकिन सैन्य टुकड़ियों के पीछे हटने की प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है।

साभार- हिस

Share this news

About desk

Check Also

What is Hezbollah, the Lebanese group trading fire with Israel?

Hezbollah, an Iran-backed group, has been exchanging fire with Israel since Oct. 7, following the …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *