बेरूत। लेबनान के आतंकवादी संगठन हिजबुल्लाह ने गुरुवार को कहा कि वह अमेरिका की मध्यस्थता वाले संघर्ष विराम का पालन करेगा, लेकिन वह इजराइल के साथ किसी भी तरह की सीधी या अप्रत्यक्ष बातचीत नहीं करेगा।
हिजबुल्लाह का यह बयान इजराइल के साथ उसके उस विवाद के बीच आया है, जिसमें पिछले साल दाेनाे पक्षाें के बीच हुए एक समझाैते के मुताबिक इजराइल काे साठ दिनाें के भीतर लेबनान से हट जाना था। हालांकि इजरायली सेना दक्षिणी लेबनान में अभी भी चौकियां बनाए हुए है।
हिजबुल्लाह की राजनीतिक परिषद ने कहा है कि वह राष्ट्रीय कर्तव्य के तौर पर संघर्षविराम का सम्मान करेगा ताकि लोगों को और तकलीफ न हो, लेकिन इजरायल से बातचीत लेबनान की संप्रभुता का उल्लंघन होगी। एक हिजबुल्लाह प्रवक्ता ने टीवी पर कहा, “हम संघर्षविराम से बंधे हुए हैं ताकि हमारे लोगों को और दर्द न सहना पड़े, लेकिन इजराइल से बातचीत नामुमकिन है। लेबनान झुकने वाला नहीं।”
दाेनाे पक्षाें के बीच संघर्ष में अब तक लेबनान में 2,500 से ज्यादा लोग मारे गए, जबकि 12 लाख से अधिक बेघर हुए है।
गाैरतलब है कि वर्तमान समय में दाेनाे पक्षाें के बीच अमरीका और फ्रांस की मध्यस्थता में संघर्षविराम लागू है। इसमें हिजबुल्लाह को लितानी नदी के उत्तर में जाना था और इजरायल को अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर लौटना था। इसमें लेबनानी सेना काे सशक्त बनाने पर भी जाेर दिया जाना है और यह सब संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में होना था। लेकिन इजराइल का आरोप है कि हिजबुल्लाह ने संघर्ष विराम का उल्लंघन किया है जबकि लेबनान के राष्ट्रपति जोसेफ आउन इजराइल पर दबाव बनाने की मांग करते हैं, जो अभी भी पांच पहाड़ियों पर कब्जा किए हुए है।
हिजबुल्लाह काे ईरान का समर्थन प्राप्त है। संगठन के संस्थापक हसन नसरुल्लाह की मौत के बाद नईम कासिम ने इजराइल के खिलाफ संघर्ष जारी रखने का वादा किया है।
इस बीच अमेरिकी राजदूत अमोस हॉचस्टीन अगले हफ्ते बेरूत आएंगे। व्हाइट हाउस के मुताबिक वह तटस्थ ‘चैनलों’ से बात का समर्थन करता है, लेकिन इस बाबत वह लेबनान की शर्तों का सम्मान करेगा।
साभार – हिस
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