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नेपाल में सिविल सर्विस बिल पर सत्तारूढ़ दल के बीच मतभेद बढ़ा, संसदीय समिति के अध्यक्ष से मांगा इस्तीफा

काठमांडू। नेपाल की संसद में पेश हुए सिविल सेवा विधेयक के कारण सतारूढ़ दलों के बीच मतभेद गहराता जा रहा है। प्रतिनिधि सभा से पारित होने के बाद यह मामला उजागर हुआ है, जिसमें राजनीतिक सहमति के विपरीत प्रावधान को रखा गया है।
माओवादी केंद्र और सीपीएन-यूएमएल दोनों ने राज्य मामलों और सुशासन संसदीय समिति के अध्यक्ष रामहरि खतिवडा के इस्तीफे की मांग की है और इस पूरे मामले में जांच की मांग की जा रही है। आज संसदीय समिति की बैठक में ही राजनीतिक सहमति के विपरीत प्रावधान रख कर इस पारित लिए जाने में समिति के अध्यक्ष की भूमिका पर सवाल खडा करते हुए उनके इस्तीफे की मांग की है। सत्ता का नेतृत्व करने वाले यूएमएल सहित विपक्षी दल माओवादी, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी ने भी रामहरि खतिवडा के इस्तीफे की मांग की है।
यह विवाद सिविल सर्विस विधेयक के खंड 82 (4) पर केंद्रित है, जो सेवानिवृत्त या इस्तीफा देने वाले सिविल सेवकों को दो साल के भीतर संवैधानिक या सरकारी पदों पर नियुक्त होने से रोकता है। हालांकि, खंड 82 (5) (ए) – समिति के सदस्यों को सूचित किए बिना ही इस प्रावधान से सरकार के मुख्य सचिव, सचिव और सह सचिव को अलग कर दिया गया है।
माओवादी सांसद माधव सपकोटा ने कहा कि संसदीय समिति के अध्यक्ष रामहरि खतिवडा और समिति के सचिव सूरज कुमार ड्यूरा को संसदीय समिति के निर्णय और राजनीतिक सहमति के विपरीत कार्य करने के लिए नैतिक रूप से जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देने की मांग की है। उन्होंने दावा किया कि उनके कार्यों ने सांसदों की गरिमा को धूमिल कर दिया है।
इसी तरह की चिंताओं को व्यक्त करते हुए, यूएमएल के नेता और पूर्व कानून मंत्री पद्म गिरि ने परिवर्तन को एक “गंभीर साजिश” बताया और तत्काल दंडात्मक कार्रवाई का आग्रह किया। उन्होंने चेतावनी दी कि संसद की छवि क्षतिग्रस्त हो गई है और कहा कि समिति को सभी बैठकों को तब तक रोकना चाहिए, जब तक कि जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह नहीं ठहराया जाता। इन दोनों दलों के अलावा राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी और राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी की तरफ से संसद में विशेष समय लेते हुए इस मामले को उठाया और इसे एक साजिश करते हुए प्रतिनिधि सभा से पारित विधेयक को अमान्य करने तथा इसके लिए जिम्मेदार नेताओं और कर्मचारियों को हटाने की मांग की है।
साभार – हिस

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