इस्लामाबाद। तालिबान को संयुक्त राष्ट्र ने दो टूक कहा कि महिला अधिकार रक्षकों को तुरंत रिहा करो। मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार से एक माह पहले बिना कारण एक माह पूर्व हिरासत में ली गई दो महिला अधिकार रक्षकों को तुरंत रिहा करने की मांग की। अमेरिकी और नाटो सेनाओं के अफगानिस्तान से दो दशक युद्ध के बाद लौटने पर 15 अगस्त 2021 में सत्ता पर काबिज होने वाले तालिबान ने महिलाओं को सार्वजनिक जीवन और काम के अधिकांश क्षेत्रों से प्रतिबंधित कर दिया है।
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संयुक्त राष्ट्र के अफगानिस्तान पर विशेष दूत रिचर्ड बेनेट समेत अन्य विशेषज्ञों ने नेदा परवान, झोलिया पारसी और उनके परिवार के सदस्यों की रिहाई को जरूरी मामला बताया। कहा कि उन्हें न तो कानूनी प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया और न ही उन्हें अदालत में पेश किया गया।
विशेषज्ञों ने बयान में कहा कि हम उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने तालिबानी अधिकारियों से अधिकारों और स्वतंत्रता के प्रति सम्मान प्रदर्शित करने का आग्रह कर कहा कि हिरासत का कोई औचित्य नहीं है। असहमतिपूर्ण विचार व्यक्त करने के लिए किसी की स्वतंत्रता खत्म नहीं की जा सकती है। महिला मानवाधिकार रक्षक विशेष रूप से खतरे में हैं और लैंगिक आधार पर उन्हें निशाना बनाए जाने की संभावना अधिक है।