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होमगार्ड ने दृढ़इच्छा शक्ति एवं कठिन परिश्रम के बल पर हासिल किया मिस्टर कंधमाल का खिताब

  • बालीगुड़ा थाना अधिकारी ने कहा, दिलीप पर थाना के साथ पूरे जिला पुलिस को है गर्व

  • राज्यस्तरीय खिताब हासिल करना है दिलीप का सपना

भुवनेश्वर. पेशे से होमगार्ड दिलीप पात्र ने न सिर्फ मिस्टर कंधमाल का खिताब अपने नाम किया किया है बल्कि लोगों में यह संदेश भी दिया है कि मन में यदि कुछ कर गुजरने का दृढ़ संकल्प लिया जाए तो फिर उसे अपनी दृढ़इच्छा शक्ति एवं कठिन परिश्रम के बल हासिल भी किया जा सकता है। यही कारण है कि होमगार्ड दिलीप पात्र अब सिर्फ होमगार्ड ही नहीं रहे बल्कि वह मिस्टर कंधमाल बन गए हैं। पुलिस की नौकरी में भागदौड़ भरी जिंदगी जीने के बावजूद अपने लिए समय निकालकर उन्होंने यह सफलता हासिल की है। सुन्दर स्वास्थ्य रेस में सभी प्रतिभागियों को पीछे छोड़ते हुए दिलीप ने मिस्टर कंधमाल टाइटल का खिताब अपने नाम किया, जिसकी चर्चा अब सुदूर कंधमाल के साथ ही राजधानी भुवनेश्वर में भी हो रही है।
जानकारी के मुताबिक दिलीप वर्तमान समय में बालीगुड़ा थाना में होमगार्ड के तौर पर कार्यरत हैं। वह अपनी इस सफलता से काफी खुश हैं। उन्होंने कहा है कि पुलिस की नौकरी में मैं हर दिन 8 घंटे खड़े होकर ड्यूटी करता हूं। इसके बाद भी 4 घंटे का समय निकालकर बालीगुड़ा स्थित महावीर जिम में वार्क आउट करता था। प्रतिकूल परिस्थिति के साथ कठिन परिश्रम के बल पर यह सफलता पानी वाले दिलीप ने अब आगे चलकर राज्य स्तर के खिताब पर नजर रखी है।
कंधमाल जिले में बाडी बिल्डिंग एवं वेट लिफ्टिंग संघ की तरफ से आयोजित अन्त:राज्यी प्रतियोगिता में भाग लेकर दिलीप ने यह सफलता हासिल की है। इस दिलीप की इस सफलता पर केवल पुलिस विभाग ही नहीं बल्कि कंधमाल जिले के साथ पूरे प्रदेश में उनके नाम की चर्चा शुरू हो गई है।
बेटे की इस सफलता पर उनके पिता गणेश चन्द्र पात्र ने खुशी जाहिर करते हुए कहा है कि हमारा बेटा कभी अपनी ड्यूटी में लारवाही नहीं दिखाता है। ड्यूटी खत्म कर जब वह घर लौटता है तो फिर तकलीफ होने के बावजूद जिम जाता है।
बालीगुड़ा के थाना अधिकारी प्रशांत कुमार बेहेरा ने कहा है कि दिलीप काफी परिश्रमी है। अपनी ड्यूटी के साथ बाडी बिल्डिंग का खिताब अपने नाम कर उसने सभी का मान बढ़ाया है।
दिलीप के जिम के ट्रेनर शसांक कुमार पति ने कहा है कि दिलीप बालिगुड़ा से जाकर मिस्टर कंधमाल खिताब अपने नाम किया है। आगे चलकर वह और कई खिताब अपने नाम करेंगे, मुझे विश्वास है। पुलिस विभाग में नौकरी करते समय खुद के लिए कुछ करने को बहुत ही कम समय मिलता है। इसके साथ ही दिलीप के माता-पिता गांव में रहते हैं। पिता दिव्यांग हैं ऐसे में उनके स्वास्थ्य के प्रति भी दिलीप को ध्यान रखना पड़ता है। इसके बावजूद थोड़ा सा भी समय मिलने पर दिलीप महावीर जिम में जाकर अपना पसीना बहाने से पीछे नहीं हटते। उनके इस सफलता को लेकर पूरा कंधमाल पुलिस आज गर्व महसूस कर रहा है, हम सब गर्वित हैं।

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