Home / Odisha / 2621 वी महावीर जयंती हर्षोल्लास पूर्वक मनाई गई

2621 वी महावीर जयंती हर्षोल्लास पूर्वक मनाई गई

  • भगवान महावीर शब्दजीवी नहीं, सत्य जीवी थे मुनि जिनेश कुमार

भुवनेश्वर,2621 भगवान महावीर जयंती समारोह का भव्य आयोजन युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री जिनेश कुमार जी ठाणा – 3 के सानिध्य में स्थानीय तेरापंथ भवन में सकल जैन समाज के द्वारा आयोजित किया गया। इस अवसर पर नवापाड़ा के विधायक राजेन्द्र जी ढोलकिया श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के अध्यक्ष मनसुख जी सेठिया आदि गणमान्य व्यक्ति विशेष रुप से उपस्थित थे ।
इस अवसर पर उपस्थित धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री जिनेश कुमार जी ने कहा – भारतीय संस्कृति के अनमोल रत्न थे-भगवान महावीर । वे ऋषि परंपरा के उज्ज्वल नक्षत्र थे। वे ज्योतिर्धर, महामहिम, महाशक्ति के महाश्रोत थे । वे शब्दजीवी नहीं, सत्य जीवी थे। वे जैन नहीं जिन थे, वे व्यक्ति नहीं संस्थान थे। भगवान महावीर निर्ग्रन्थ थे अतः हम महावीर को ग्रंथों व पंथों में न खोजकर स्वयं में खोजे। भगवान महावीर अतीन्द्रिय चेतना के विशिष्ट साधक थे। उनका जन्म 2620 वर्ष पूर्व वैशाली गणतंत्र के क्षत्रिय कुण्डग्राम में हुआ । उनके पिता का नाम सिद्धार्थ व माता का नाम त्रिशला था।
मुनि जिनेश कुमार ने आगे कहा – भगवान महावीर करुणा व अहिंसा के अवतार थे। उन्होंने अहिंसा, अनेकान्त ,अपरिग्रह का सिद्धान्त दिया। उनके सिद्धान्तों को अगर विश्व अपना ले तो अनेक वैश्विक समस्याओं का समाधान संभव है। आत्मकतृत्ववाद ,समतावाद ,कर्मवाद आदि सिद्धान्तों के द्वारा उन्होंने जगत का पथ प्रशस्त किया। आज लोग महावीर को तो मानते हैं पर महावीर की ” नहीं मानते, अपेक्षा है “को” से भी ज्यादा “की”
” को मानने की। महावीर ‘आऊट ऑफ डेट” नहीं अपितु आज भी अप टू डेट”है । भगवान महावीर के लिए श्रमण शब्द का प्रयोग होता है जो शम, सम, श्रम का वाचक है। युद्ध की विभीषिका से संत्रस्त विश्व को महावीर जयंती शांति और करुणा का संदेश देती है। विभिन्न राष्ट्रों के लोग आपसी सौहार्द, समन्वय सद्‌भावना व अनेकान्त दृष्टि के प्रयोग करे तो शांति का साम्राज्य स्थापित हो। सकता है। मुनि श्री ने महावीर जयंती पर जैन एकता, जैन संस्कार ,संस्कृति, नशा मुक्ति ,पारिवारिक प्रेम आदि बातों पर विशेष बल देते हुए सबके प्रति मंगलकामना की। मुनि कुणाल कुमार ने सुमधुर गीत का संगान किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि राजेन्द्र जी ढोलकिया ने महावीर जयन्ती की शुभकामना देते हुए कहा – भगवान महावीर के आदर्शों को याद करें और जीवन में अपनाने का प्रयास करें ।आज जयंती मनाना तभी सार्थक होगा जब हम कुछ संकल्प ग्रहण करेंगे ।
महासभा के अध्यक्ष मनसुख जी सेठिया ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा – भगवान महावीर की समता अखण्डित थी। वे काष्टो में भी विचलित नहीं हुए। अनासक्ति व अनाग्रह का दर्शन दुनिया की अनेक समस्याओं को सुलझाने में सक्षम है।
इस अवसर पर प्रकाश बेताला, तेरापंथी सभा के अध्यक्ष बच्छराज बेताला, तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष विवेक बेताला, तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्षा श्रीमती मधु गिडिया, तेरापंथ भवन समिति के अध्यक्ष सुभाष जी भूरा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए भावांजलि अर्पित की । तेरापंथ महिला मंडल ने चौदह स्वप्नों पर शब्द चित्र कार्यक्रम प्रस्तुत किया। ज्ञानशाला के बच्चों व प्रशिक्षिकाओं ने भगवान महावीर के उपसर्गों पर सुन्दर नाटिका प्रस्तुत की।
कार्यक्रम का शुभारम्भ तेरापंथ महिला मंडल की युवतियों ने महावीर अष्टकम से किया । तेरापंथ कन्या मण्डल, व तेरापंथ युवक परिषद के सदस्यों ने सुमधुर गीतों का संगान किया । आभार ज्ञापन तेरापंथ सभा के मंत्री पारस सुराणा ने व संचालन
मुनि परमानंद ने किया । अतिथियों का सम्मान किया गया।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण उपस्थित थे।
समारोह से पूर्व प्रभात फेरी का आयोजन हुआ। प्रभात फेरी रेलवे स्टेशन चौक से प्रारंभ होकर तेरापंथ भवन पहुंची। प्रभात फेरी में जैन समाज के लोग बड़ी संख्या में जयघोष करते हुए चल रहे थे।

Share this news

About desk

Check Also

BHUBANESHWAR

पिता दिवस पर काव्य गोष्ठी में श्रोताओं की आंखें हुईं नम

पिता की करुण अरदास ने मौजूदा परिस्थितों से रू-ब-रू कराया भुवनेश्वर। पिता दिवस के अवसर …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *