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कोरोना – दीये से दीया जलाएँ –एक कविता

संघर्षों का
बिगुल बज गया,
हमें कौन हरायेगा…,
करें साधना,
संयम-संकल्प की,
रिपु मौन हो जायेगा…!!

गीत लक्ष्य के
समवेत स्वर में,
गुँजारित हैं यहाँ-वहाँ…,
यह वसुधा है,
गौ-गंगा-गौरी की,
स्वर्णिम इतिहास अंकित हैं जहाँ…!!

मर्यादा होती है
ढाल जन-जीवन की ,
रीत-नीत पुरानी है…,
जागो पार्थ…!!
कोरोना-महासमर में
विजयश्री हमें पानी है…!!

पूरब में
आस उजास की,
बदलेगी निश्चित यथार्थों में…,
पुकारे समय,
बनेगा भारत मेरा,
विश्व गुरु सच्चे अर्थों में…!!

शंख नाद
मंगल मंत्रोच्चार,
मिलकर हम सब गाएँ…,
हों आलोकित,
तेरा घर-मेरा घर,
दीये से दीया जलाएँ…!!
पुष्पा सिंघी , कटक

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