रायपुर। कतर में 8 अधिकारियों को मौत की सजा को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। राजीव भवन में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने शुक्रवार शाम पत्रकारवार्ता को संबोधित करते हुये कहा कि पिछले साढ़े नौ वर्षों में एनडीए भाजपा सरकार की तरफ से एक शब्द निरंतर और लगातार सुनने को मिलता रहा है मस्कुलर नेशलिज्म, जिसका हिन्दी में अर्थ होगा डोले वाला राष्ट्रवाद। दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि जब परिस्थितियां जटिल हो जाती है तो यह मस्कुलर नेशलिज्म कहीं पर दिखाई नहीं देता है।
उन्होंने बताया कि आज एक छोटे से मुल्क कतर में भारत के आठ सेवा निवृत्त नौसेना के उच्च अधिकारी उनको मौत की सजा सुना दी गयी। उन पर क्या आरोप है? उन पर कहां पर मुकदमा चला? उस मुकदमा का फैसला कहां है? कुछ अता पता नहीं है। आठ सेवा निवृत्त अधिकारी नौसेना के, जिनको भारत ने कई बार सम्मान दिया। वो पिछले अगस्त 2022 से सॉलिट्री कन्फाइनमेंट में थे और उसके बाद उनको मौत की सजा सुना दी गयी। भारत सरकार की तरफ से, विदेश मंत्रालय की तरफ से कोई कदम नहीं उठाया गया है उनकी रिहाई के लिए, इसके बावजूद की निरंतर और लगातार यह बात सरकार के संज्ञान में लाई गयी। एक छोटा सा मुल्क है कतर, उसने एनडीए भाजपा सरकार की मस्कुलर नेशनलिज्म की हवा निकाल के रख दी। कतर में 8 अधिकारियों को मौत की सजा दी गई है। उन लोगों की जिंदगी आज जोखिम में है। इसी तरह से अप्रैल 2020 से चीन, भारत की सर जमीन में घुसा है। एक उच्च अधिकारी ने जो लद्दाख की एसएसपी हुआ करती थी, उन्होंने एक पेपर लिख कर ये बात कही कि पूर्वी लद्दाख में 56 ऐसे पेट्रोलिंग पॉइंट है जहां पर अप्रैल 2020 से पहले भारत की सेना गश्त लगाया करती थी। आज उन 56 में से 26 ऐसी जगह है जहां पर भारत की सेना जा नहीं सकती।
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इस विषय का छत्तीसगढ़ विधानसभा से जुड़ा संदर्भ यह है कि विकास का काम तभी हो सकता है, अगर प्रदेश में सुरक्षा का वातावरण सामान्य हो, अनुकूल हो। जब छत्तीसगढ़ राज्य बना था, तब नक्सलवाद की समस्या 4 ब्लॉक तक सीमित थी, लेकिन भाजपा के शासनकाल में नक्सलवाद की समस्या 14 जिलों तक फ़ैल चुकी थी। कांग्रेस के शासनकाल में मुख्यमंत्री भूपेश ने बहुत ही संजीदा तरीके से एक ऐसी रणनीति अपनाई। उन्होंने सरकार की हार्ड पावर और सॉफ्ट पावर का समिश्रण बनाकर इस समस्या के ऊपर नक्सल समस्या पर काबू पाने की कोशिश की है, जिसका नतीजा यह हुआ कि छत्तीसगढ़ में पिछले 5 साल में नक्सल वारदातों में 52 प्रतिशत से ज्यादा की कमी आई है। नक्सल प्रभावित इलाकों में बंद पड़े 314 स्कूल खोले गए हैं। राशन कार्ड युद्ध स्तर पर बनाये गए और पीडीएस की दुकानें खोली गई हैं।
भूपेश सरकार के कार्यों के कारण आज छत्तीसगढ़ में केवल 3 जिलों के कुछ सीमावर्ती इलाकों में नक्सलवादियों का प्रभाव बचा है। कोई भी प्रदेश तभी विकास कर सकता है, जब वहां कानून व्यवस्था दुरुस्त हो। पिछले पांच सालों में कांग्रेस की सरकार में छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश के नेतृत्व में परिस्थितियां सामान्य हुई हैं। इसलिये इस प्रदेश की अमन और शांति को बरकरार रखने के लिये, इस प्रदेश की सांप्रदायिक सौहार्द को बनाये रखने के लिये जो नक्सलवाद की समस्या है वो दोबारा न पनप पाए, यह बहुत जरूरी है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार दोबारा बननी चाहिये है।