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जनवरी में बिकवाल की भूमिका में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक, बाजार से अभी तक 22,194 करोड़ निकाले

नई दिल्ली। घरेलू शेयर बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) जनवरी के महीने में अभी तक लगातार नेट सेलर (शुद्ध बिकवाल) की भूमिका निभा रहे हैं। इस साल 1 जनवरी से लेकर 10 जनवरी के कारोबार में विदेशी निवेशक भारतीय स्टॉक मार्केट से 22,194 करोड़ रुपये की निकासी कर चुके हैं। इसमें सिर्फ पिछले सप्ताह ही यानी 6 से 10 जनवरी के बीच विदेशी निवेशकों ने 16,854.25 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली की है।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के प्रोविजनल डेटा के मुताबिक जनवरी के महीने में सिर्फ 2 जनवरी को विदेशी निवेशकों ने बिकवाली की तुलना में लिवाली अधिक की थी। इसके अलावा जनवरी के हर कारोबारी दिन के दौरान विदेशी निवेशकों ने लगातार बिकवाली का ही दबाव बनाया है। जानकारों का मानना है कि तीसरी तिमाही के दौरान कंपनियों के नतीजे में कमजोरी आने की आशंका, डॉलर इंडेक्स की मजबूती, डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता संभालने के बाद टैरिफ वॉर में तेजी आने का डर और निगेटिव ग्लोबल सेंटीमेंट्स के कारण विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक जनवरी में लगातार बिकवाली का दबाव बनाए हुए हैं।
इसके पहले अक्टूबर और नवंबर में भी विदेशी निवेशकों ने घरेलू शेयर बाजार में रिकॉर्ड तोड़ बिकवाली की थी। हालांकि दिसंबर 2024 के दौरान विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली की तुलना में लिवाली अधिक की थी। इसी वजह से दिसंबर 2024 के दौरान विदेशी निवेशक 15,446 करोड़ रुपये के शुद्ध लिवाल (नेट बायर) बने थे।
खुराना सिक्योरिटीज एंड फाइनेंशियल सर्विसेज के सीईओ रवि चंदर खुराना का कहना है कि भारतीय बाजार से विदेशी कोष की निकासी के लिए कई फैक्टर्स को जिम्मेदार माना जा सकता है। इनमें मुख्य रूप से ट्रंप प्रशासन के दौरान टैरिफ वॉर में तेजी आने की आशंका, भारत में ब्याज दरों में कटौती की बात को लेकर बनी अनिश्चितता, घरेलू मोर्चे पर कंपनियां के तीसरी तिमाही के नतीजे में गिरावट आने की आशंका और जीडीपी ग्रोथ रेट में सुस्ती आने के अनुमान की वजह से विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से अपना पैसा निकालना बेहतर समझ रहे हैं। खुराना का मानना है कि इन फैक्टर्स के अलावा डॉलर की तुलना में भारतीय मुद्रा रुपये का रिकार्ड निचला स्तर, अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में आई तेजी और भारतीय शेयर बाजार के हाई वैल्यूएशन की वजह से भी विदेशी निवेशक लिवाली की तुलना में बिकवाली पर अधिक ध्यान दे रहे हैं।
दूसरी ओर, कैपेक्स गोल्ड एंड इन्वेस्टमेंट के सीईओ राजीव दत्ता का कहना है कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की ओर से हो लगातार हो रही बिकवाली की सबसे बड़ी वजह डॉलर इंडेक्स की जोरदार मजबूती है। डॉलर इंडेक्स फिलहाल 109 के स्तर तक पहुंच गया है, जिसकी वजह से दुनिया भर की मुद्राओं पर प्रतिकूल असर पड़ा है। राजीव दत्ता इसके साथ ही अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में आई तेजी को भी जिम्मेदार मानते हैं। 10 साल के बॉन्ड पर यील्ड 4.6 प्रतिशत से ऊपर पहुंच गया है। इस वजह से भी निवेशक विकासशील देशों के स्टॉक मार्केट से अपना पैसा निकाल रहे हैं।
साभार – हिस

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