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आईटीआर और एआईएस में अंतर को लेकर आयकर विभाग ने चलाया अभियान

नई दिल्ली। आयकर विभाग ने आयकर रिटर्न (आईटीआर) और वार्षिक सूचना विवरण (एआईएस) में अंतर के बारे में सूचित करने के लिए अभियान चलाया है। आईटीआर और एआईएस में अंतर को लेकर टैक्‍सपेयर्स और रिटर्न दाखिल नहीं करने वालों को एसएमएस और ई-मेल भेजा जा रहा है।आयकर विभाग ये एसएमएस और ई-मेल उन मामलों में भेज रहा है, जहां वित्त वर्ष 2023-24 और वित्त वर्ष 2021-22 के लिए एआईएस में लेनदेन के बारे में दी गई जानकारी और आईटीआर में बताई गई इनकम के बीच अंतर पाया गया है।
वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने वित्त वर्ष 2023-24 और वित्‍त वर्ष 2021-22 के लिए एआईएस में रिपोर्ट की गई आय और लेन-देन तथा आयकर रिटर्न में इनकम और लेन-देन के बीच अंतर को हल करने में करदाताओं की सहायता के लिए एक अभियान शुरू किया है। इसके जरिए उन व्यक्तियों को भी चिन्हित किया गया है, जिनकी कर योग्य इनकम या महत्वपूर्ण उच्च-मूल्य लेन-देन उनके एआईएस में रिपोर्ट किए गए हैं, लेकिन उन्होंने संबंधित वित्त वर्ष के लिए आईटीआर दाखिल नहीं किया है।
सीबीडीटी ने कहा कि ये पहल ई-सत्यापन योजना, 2021 के कार्यान्वयन का हिस्सा है। इस अभियान के तहत उन मामलों में करदाताओं और आयकर रिटर्न जमा नहीं करने वालों को एसएमएस और ई-मेल के जरिए सूचनात्मक संदेश भेजे गए हैं, जहां वार्षिक सूचना विवरण में लेन-देन के बारे में दी गई जानकारी और आईटीआर की सूचना के बीच अंतर है। सीबीडीटी ने कहा कि इस अभियान का उद्देश्य उन करदाताओं को इसके बारे में याद दिलाना और उनका मार्गदर्शन करना है। इससे वे वित्त वर्ष 2023-24 के लिए संशोधित आईटीआर दाखिल कर सकेंगे, जिसकी अंतिम तिथि 31 दिसंबर, 2024 है। वित्त वर्ष 2021-22 से संबंधित मामलों के लिए करदाता 31 मार्च, 2025 की समय-सीमा तक अद्यतन आईटीआर दाखिल कर सकते हैं।
सीबीडीटी ने पिछले महीने एक अभियान शुरू किया था। इसके तहत उन करदाताओं को संदेश भेजे गए थे जिन्होंने आकलन वर्ष 2024-25 के लिए अपने आईटीआर में उच्च मूल्य वाली विदेशी आय या संपत्ति का खुलासा नहीं किया है।
साभार -हिस

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