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अगस्त में बिकवाल की भूमिका में रहे विदेशी निवेशक, डीआईआई की लिवाली से बड़ी गिरावट से बचा बाजार

  • एफआईआई ने अगस्त में की 25,252 करोड़ रुपये की बिकवाली की

नई दिल्ली। घरेलू शेयर बाजार में अगस्त के महीने के दौरान विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) लगातार बिकवाल की भूमिका निभाते हुए नजर आ रहे हैं। घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने इस महीने शुद्ध लिवाल की भूमिका निभाई है, जिसकी वजह से शेयर बाजार किसी बड़ी गिरावट से बचने में सफल रहा है।

स्टॉक मार्केट के आंकड़ों के मुताबिक विदेशी संस्थागत निवेशक अगस्त महीने में अभी तक पूरी खरीद और बिक्री को मिलाकर शुद्ध रूप से 25,252 करोड़ रुपये के शेयर स्टॉक मार्केट में बेच चुके हैं। घरेलू संस्थागत निवेशक अगस्त महीने में अभी तक पूरी खरीद और बिक्री को मिलाकर शुद्ध रूप से 47,080 करोड़ रुपये के शेयर स्टॉक मार्केट से खरीद चुके हैं।

इन आंकड़ों से साफ है कि विदेशी संस्थागत निवेशक जहां घरेलू शेयर बाजार से अपना पैसा निकालने में लगे हुए हैं, वहीं घरेलू संसाधन निवेशक बिकवाली के दबाव में बाजार में होने वाली किसी भी गिरावट को रोकने के लिए चौतरफा खरीदारी करते नजर आए। एफआईआई ने 23 अगस्त तक जितनी बिकवाली की है, उससे लगभग दोगुनी लिवाली डीआईआई द्वारा की जा चुकी है। इसी वजह से अगस्त में उतर चढ़ाव होने के बावजूद शेयर बाजार की चाल पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है।

अगर साल 2024 में विदेशी संस्थागत निवेशकों और घरेलू संस्थागत निवेशकों द्वारा किए गए कुल कारोबार पर नजर डालें, तो लिवाली का जोर ज्यादा नजर आता है। ग्लोबल मार्केट की अनिश्चितता के कारण विदेशी संस्थागत निवेशक भी इस साल भारत के स्टॉक मार्केट में बिकवाली की तुलना में अधिक खरीदारी करते रहे हैं। खरीद बिक्री के आंकड़ों को मिलाकर देखें तो इस साल विदेशी संस्थागत निवेशक अभी तक 1,27,205 करोड़ रुपये की खरीदारी कर चुके हैं। विदेशी संस्थागत निवेशकों की तरह ही घरेलू संस्थागत निवेशकों ने भी इस साल बिकवाली की तुलना में लिवाली पर ज्यादा जोर दिया है। डीआईआई द्वारा इस साल खरीद बिक्री मिलकर 3,12,127 लाख करोड़ रुपये की खरीदारी की जा चुकी है।

स्टॉक मार्केट में एफआईआई और डीआईआई द्वारा की लगातार की गई खरीदारी के कारण ही सेंसेक्स इस साल अभी तक 9,900 अंक से ज्यादा उछल चुका है। हालांकि अगस्त के महीने में विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा की गई मुनाफा वसूली की वजह से सेंसेक्स की स्पष्ट बढ़त 8,867 अंक रह गई है। 1 जनवरी को सेंसेक्स 72,218.39 अंक के स्तर पर खुला था। एफआईआई और डीआईआई की ओर से इस साल की गई चौतरफा खरीदारी के कारण 1 अगस्त को ये सूचकांक 9,900 अंक से अधिक की मजबूती के साथ 82,129.49 अंक के सर्वोच्च स्तर तक पहुंचा। इसके बाद विदेशी संस्थागत निवेशकों की मुनाफा वसूली की वजह से 23 अगस्त को सेंसेक्स ऊपरी स्तर से लुढ़क कर 81,086.21 अंक के स्तर पर बंद हुआ।

सेंसेक्स की तरह ही निफ्टी इस साल 1 जनवरी को 21,727.75 अंक के स्तर पर खुला। 1 अगस्त को ये सूचकांक 3,350 अंक से अधिक की मजबूती के साथ अभी तक के सर्वोच्च स्तर 25,078.30 अंक तक पहुंचने में सफल रहा। हालांकि मुनाफा वसूली के कारण 1 अगस्त के बाद ये सूचकांक भी गिरावट का शिकार होकर 23 अगस्त को 24,823.15 अंक के स्तर तक आ गया। इस गिरावट की वजह से इस साल अभी तक निफ्टी में 3,095 अंक की बढ़त दर्ज की गई है।

स्टॉक मार्केट एक्सपर्ट विनोद चौहान के मुताबिक पिछले पिछले 5 वर्षों के दौरान भारतीय शेयर बाजार में घरेलू संस्थागत निवेशकों की स्थिति काफी मजबूत हुई है। इसके पहले विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा की जाने वाली बिकवाली की वजह से घरेलू शेयर बाजार आमतौर पर बड़ी गिरावट का शिकार हो जाता था लेकिन अब स्थिति बदल गई है। घरेलू संस्थागत निवेशकों ने अब विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली के जवाब में आक्रामक अंदाज में लिवाली करने का तरीका अपना लिया है, जिसकी वजह से घरेलू शेयर बाजार की चाल पर ज्यादा असर नहीं पड़ता है। ऐसा होने की वजह से छोटे और खुदरा निवेशकों के हित भी आमतौर पर सुरक्षित रहते हैं।
साभार – हिस

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