
सज्जन शर्मा, कालियाग॔ज
राजस्थानी एवं हरियाणवी परिवार की महिलाओं द्वारा शीतलता एवं स्नेह की देवी शीतला माता की पूजा पारंपरिक विधि विधान के साथ की गई। अहले सुबह से ही उक्त समाज की महिलाओं का पूजा के मद्देनजर पारंपरिक वेशभूषा में पूजा सामग्री हाथों में लिए मंगल गीत गाती मारवाड़ी ठाकुरबाड़ी स्थित शीतला मंदिर पहुंचने का तांता लगा रहा।

गौरतलब है कि इस पूजा में ठंडा खाने की प्रथा है। इसलिए इसे बसिया पर्व भी कहा जाता है, जिसको लेकर श्रद्धालु दिन चढ़ने से पहले ही अहले सुबह से ही मंदिर पहुंच कर पूजा करने में जुट जाते हैं। तत्पश्चात माता को ठंडा प्रसाद के रूप में मीठा चावल, राबड़ी ,गुलगुले , पूड़ी  आदि पकवान समर्पित कर भर दिन बसिया पकवान खाते हैं, जो पूजा की पूर्व संध्या बना लिया जाता है।
पर्व की मान्यता को लेकर शांति देवी शर्मा ने बताया कि माता को ठंडी चीजें बहुत प्रिय है, सो ऐसे में माता की पूजा करने पर माता की स्नेह और दृष्टि उस परिवार पर बनी रहती हैं। साथ ही स्वास्थ्य एवं सुख समृद्धि की कामना को लेकर भी शीतला माता की पूजा हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। इसके अलावा यह ऋतु परिवर्तन का संकेत देने वाला पर्व है।
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