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मुंह से ब्रश पकड़कर लोगों के चेहरे बनाने से लेकर धनुष चलाने तक प्रेरणादायी रही है पैरा तीरंदाज पायल नाग की यात्रा

  • पहली ही प्रतियोगिता में राष्ट्रीय चैंपियन बन चुकी हैं पायल

नई दिल्ली। जब शीतल देवी ने बिना हाथों के पेरिस पैरालंपिक में तीरंदाजी में भारत के लिए पहला पदक जीता, तो दुनिया हैरान रह गई। हर कोई चकित था कि यह कैसे संभव हुआ और वह रातों-रात स्टार बन गईं। इसके बाद भारतीय पैरा तीरंदाजी के पटल पर एक नई मेधावी पायल नाग का प्रवेश हुआ। शीतल के दोनों हाथ नहीं हैं तो पायल के हाथ और पैर नहीं हैं। पायल ने हाल ही में जयपुर में आयोजित 6वीं राष्ट्रीय पैरा तीरंदाजी चैंपियनशिप में शीतल को हराकर नेशनल चैंपियन बनी हैं। उन्होंने इस खेल के गुर उसी माता वैष्णो देवी श्राइन तीरंदाजी अकादमी में सीखे हैं, जिसने शीतल को स्टार बनाया है।

तीरंदाजी के मैदान पर प्रतिस्पर्धा के बावजूद शीतल को पायल अपनी बड़ी बहन मानती हैं। अपनी बड़ी बहन की तरह ही वह भी देश के लिए पैरालंपिक पदक जीतने का सपना देखती हैं।

खेलो इंडिया पैरा गेम्स के दौरान साई मीडिया से बातचीत में पायल ने कहा, “मेरा सपना देश के लिए स्वर्ण पदक जीतना है। अगर मैं ओडिशा के बलांगीर के अनाथालय से आकर शीतल दीदी को हरा सकती हूं, तो मेरा लक्ष्य देश के लिए स्वर्ण पदक जीतने से कम कुछ नहीं हो सकता।”

शीतल देवी भी पायल की प्रतिभा की कायल हैं। शीतल ने खेलो इंडिया पैरा गेम्स 2025 के दौरान साई मीडिया से कहा, “जब पायल ने पहली बार तीर चलाया था तब मुझे लगा था कि यह कैसे हो पाएगा लेकिन उसने यह काम बखूबी किया। मुझे अच्छा लगा। पायल प्रतिभाशाली है और मेरी छोटी बहन जैसी है। वह मेहनती है। वह देश का नाम रोशन कर सकती है।”

साल 2015 में छत से गुजरने वाले 11000 वोल्ट की तार की चपेट में आने के कारण पायल के दोनों हाथ और दोनों पैर बेकार हो गए। उस समय पायल पांच साल की थी। पायल इस दुर्घटना को याद नहीं करना चाहती लेकिन उनके कोच कुलदीप ने कहा, “इस एक्सीडेंट ने पायल के हाथ और पैर छीन लिए। जान बच गई लेकिन इसके बाद घरवालों का पायल का ख्याल रख पाना मुश्किल हो रहा था तब उस इलाके के किसी प्रभावशाली व्यक्ति ने डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर को एक निवेदन देकर पायल को 2019 में बालंगीर के ही एक अनाथालय- पार्वतीगिरी बालनिकेतन में रखवा दिया। वहां पायल तीन साल तक रही और फिर 2022 में मैं इसे जम्मू ले आया।”

पायल कितनी होनहार है, इसे साबित करने के लिए कोच ने बताया कि जनवरी 2025 में जयपुर में आयोजित छठी पैरा नेशनल आर्चरी चैंपियनशिप पायल का पहला कम्पटीशन था। पायल ने भारत के पैरा आर्चरी के दिग्गज खिलाड़ियों की मौजूदगी में यहां रैंकिंग में पहला स्थान हासिल किया। इसमें पायल की हमराज्य और पैरालंपिक पदक विजेता शीतल देवी और पैरालंपियन ज्योति बालियान भी थीं। शीतल के साथ-साथ ज्योति भी कुलदीप की ही शिष्या हैं। पायल ने रैंकिंग में तमाम दिग्गजों को हराकर स्वर्ण पदक जीता। इसके अलावा पायल ने ओलंपिक राउंड में शीतल को हराया और नेशनल चैंपियन बनी।

पायल ने बताया कि पहले वह मुंह से तस्वीर बनाया करती थी और एक दिन उनकी एक तस्वीर को किसी ने ट्विटर पर पोस्ट किया और वह वायरल हो गई। कोच कुलदीप की नजर इसपर पड़ी और तब उन्होंने पहली बार संपर्क किया। पायल कहती हैं, ”मैं तो पहले मुंह से ड्राइंग करती थी। मैं किसी को भी देखकर उसका फेस बना सकती थी। मेरी एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। उस तस्वीर को मेरे गुरुजी ने भी देखा और फिर मेरे अनाथ आश्रम में आए और मुझे जम्मू ले आए।”

17 साल की पायल ने आगे कहा, “पहली बार जब मैं अकादमी गई तो वहां देखा कि सबके हाथ पैर हैं। बच्चे हाथ से धनुष पकड़ते थे। मैं सोचती थी कि मैं कैसे कर पाउंगी। फिर मेरे गुरू ने भरोसा दिलाया कि इसमें मैं तुम्हारी मदद करूंगा और मेरी पीठ थपथपाकर बोले कि तुम चिंता मत करो मैं हूं और तुम कर सकती हो। इसके बाद सर ने मेरे लिए डिवाइस बनाया और फिर मुझे प्रैक्टिस देने लगे।”

नए डिवाइस को लेकर कुलदीप का कहना है कि पायल के लिए उन्होंने एक डिवाइस बनाई, जिसमें वह दोनों पैरो से तीर चलाती थी और उसी से ये नेशनल चैंपियन बनी लेकिन बाद में पायल के इस तरह से तीर चलाने पर विरोध हुआ। कोच ने कहा, “दोनों पैरों से तीर न चलाने को लेकर एक नियम आया लेकिन आने वाले समय में इसमें बदलाव होगा क्योंकि पायल दुनिया की एकमात्र एथलीट है, जिसके दोनों पैर नहीं हैं और दोनों हाथ भी नहीं हैं। इस विरोध को देखते हुए मेंने एक दूसरा डिवाइस बनाया, जिसे पायल एक पैर से ही चला रही है। आज वह दाएं पैर से धनुष उठाती है और दाएं कंधे से धनुष को खींचती है। उसकी खींचने वाली डिवाइस भी मैंने ही बनाई है।”

ओडिशा के एक गरीब परिवार से आने वाली पायल के घर में माता-पिता, भाई-बहन सब हैं। पिता किसान हैं। बड़ी बहन वर्षा नाग अकादमी के हास्टल में पायल के साथ रहती है और उसे नहलाने-धुलाने से लेकर खाना खिलाने तक सारा काम करती है। पायल के साथ-साथ वर्षा भी पढ़ाई करती है।

पायल खेलों इंडिया पैरा गेम्स के माध्यम से खुद को विश्व रैंकिंग टूर्नामेंट (थाईलैंड) के लिए तैयार कर रही हैं लेकिन उनका लक्ष्य 2026 टोक्यो में होने वाला पैरा एशियन गेम्स और 2028 पैरालंपिक है।

पायल कहती हैं, “कहते हैं कि जब खुद पर भरोसा हो तो सब कुछ संभव है। मुझे खुद पर और अपने कोच पर भरोसा था। उन्हीं की बदौलत मैं आज यहां बैठकर आपसे बात कर रही हूं और राष्ट्रीय पदक भी जीत चुकी हूं।”
साभार – हिस

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